आजमगढ़ । देवभूमि भारत के उ.प्र.के जिला आज़मगढ़ की अनेक विभूतियों- दुर्बासा ऋषि, दत्तात्रेय ऋषि, अल्लामा शिबली नोमानी, हरिऔध, राहुल सांस्कृत्यायन, कैफ़ी आज़मी, चित्रकार फ्रेंक वेस्ली की लड़ी में जन्में सामाजिक, आध्यात्मिक व व्यवहारिक चिंतक महान सन्त श्री प्रेम नारायण लाल की 6वीं पावन स्मृति में आयोजित एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरा सप्रेम संस्थान के तत्वावधान में सप्रेम कवि सभा के पटल पर गूगल मीट के माध्यम से 30 दिसम्बर की रात 7.30 से 10.30 तक दो दौर में ऑनलाइन बृहद स्तर पर सम्पन्न हुआ। जिसमें देश के 9 प्रदेशों से 30 कवि शायर व साहित्यकार शामिल होकर अपनी रचनाओं का जलवा बिखेरा। इस काव्य गोष्ठी का शीर्षक था– गजल के लिए गिले-शिकवे भुला कर प्रेम करना ही इबादत है और कविता के लिए मिलवर्तन के पुष्प खिलाकर प्रेम-बग़ीचे को महकाएं।
ज्ञातव्य हो कि ऑनलाइन होने वाला अब तक का सबसे लम्बा यह कवि सम्मेलन था जो लगभग तीन घण्टे चला। अंत मे कार्यक्रम ख़त्म होने पर भी लोग सप्रेम पटल को छोड़ना नहीं चाह रहे थे। इस प्रकार प्रेम पर आधारित यह काव्य गोष्ठी पूरे देश के प्रेम-प्रेमियों को सप्रेम जोड़ने में काफ़ी सफल रहा।
इस काव्य गोष्ठी में कोलकाता से कमल पुरोहित अपरिचित, उड़ीसा से रचना त्रिपाठी, महाराष्ट्र से असीम आमगांवी, गुजरात से प्रतिभा पुरोहित, राजस्थान से मधुसूदन कलम घिसाई, मध्य प्रदेश से प्रज्ञेश, दिल्ली से सागर देहलवी, हरियाणा से जगन्नाथ सोनी और उ.प्र.के वाराणसी से परमहंस तिवारी परम्, डॉ. माधुरी सिंह, डॉ. पूनम तिवारी, डॉ. मुक्ता श्रीवास्तव, कमलेश विष्णु सिंह जिज्ञासु, शुभ्रा श्रीवास्तव, डॉ. सुनीता सिंह, शैलेन्द्र अम्बष्ट।
आज़मगढ़ से साहिल, बांवला, डॉ.योग, नासमझ, प्रयागराज से जतन, शाहजहांपुर से विनीता चौरसिया, लखनऊ से गिरीश पांडेय, सीमीं सिद्दीकी, भूपेंद्र अस्थाना और गोरखपुर से दीपक जी ने अपनी रोचक रचनाओं से समां बाँधा। कार्यक्रम की सदारत गाजीपुर से अमित सहाय ने, आभार व समापन गाज़ियाबाद से इंजी. धर्मेंद्र अस्थाना ने और काव्य गोष्ठी के पहले दौर का संचालन वाराणसी से सप्रेम संस्थान व सप्रेम कवि सभा के अध्यक्ष डॉ. पुष्पेंद्र अस्थाना तथा दूसरे दौर का संचालन रोहित अस्थाना ने किया। तकनीकी व्यवस्था लखनऊ से चित्रकार भूपेंद्र अस्थाना ने किया।