Climateकहानी, कोलकाता। जहां एक ओर देश के चार महानगरों में पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष पीएम 2.5 की मात्रा में इजाफा हुआ है, वहीं देश के सबसे बड़े राज्य, उत्तर प्रदेश, की राजधानी लखनऊ में पीएम 2.5 की मात्रा में कमी देखी गयी। दक्षिण के राज्य तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई को सबसे कम प्रदूषित पाया गया, जहां पिछले वर्ष के मुकाबले पीएम 2.5 के स्तरों में 23% से ज्यादा की गिरावट देखी गई है।
रेस्पिरर रिपोर्ट्स नाम के इस विश्लेषण में वर्ष 2019 से 2023 के बीच भारत के आठ प्रमुख राजधानी नगरों में पीएम 2.5 की मौजूदगी का विश्लेषण किया गया है। यह आठ नगर हैं दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलूरु, लखनऊ, हैदराबाद, और पटना। भारत एक विविध और गतिशील वातावरण वाला देश है।
लेकिन इस विविधता और गतिशीलता का नतीजा यह है कि यह महत्वपूर्ण वायु प्रदूषण चुनौतियों से भी जूझता है, जो सभी के स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित करता है। रेस्पायरर रिपोर्ट्स द्वारा किए इस नवीनतम शोध में पिछले पांच वर्षों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, देश में विकसित वायु गुणवत्ता परिदृश्य में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि देखने को मिलती हैं।
गुड न्यूज़
लखनऊ, पटना, बेंगलुरु और चेन्नई में वर्ष 2022 और 2023 के बीच पीएम 2.5 के स्तरों में गिरावट दर्ज की गई है। लखनऊ और पटना में वर्ष 2022 और 2023 के बीच अक्टूबर माह में पीएम 2.5 के स्तरों में गिरावट हुई है। लखनऊ में वर्ष 2019 और 2020 के बीच में 2.5 के स्तरों में 55.2% का जबरदस्त उछाल आया था। हालांकि 2021 में इसमें 53.4% की गिरावट भी हुई थी। साल 2022 में यह 6.2% और बढ़ा।
वहीं, 2023 में इसमें 0.9% की मामूली गिरावट दर्ज की गई। पटना में वर्ष 2019 और 2020 के बीच पीएम 2.5 के स्तरों में 14% की गिरावट हुई। साल 2021 में इसमें 36.7% की और कमी दर्ज की गई, मगर 2022 में इसमें 47.7% का जोरदार उछाल आया लेकिन 2023 में इसमें 11.1% की गिरावट आई है। वर्ष 2022 और 23 के बीच बेंगलूरु तथा चेन्नई में पीएम 2.5 के स्तरों में गिरावट दर्ज की गई है।
वर्ष 2019 और 2020 के बीच बेंगलूरु में पीएम 2.5 के स्तरों में 72.5% की जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई थी। वर्ष 2021 में 5.8% की मामूली सी गिरावट आई। वर्ष 2022 में इसमें 29.6% का उछाल आया लेकिन 2023 में इसमें 11.2 6% की गिरावट दर्ज की गई। चेन्नई में वर्ष 2019 और 2020 के बीच म 2.5 में 43.2% की वृद्धि हुई जबकि 2021 में इसमें 27.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2022 में इसमें 61.6% का जोरदार उछाल देखा गया, मगर 2023 में इसमें 23.7% की कमी दर्ज की गई।
इस रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु कुछ इस प्रकार हैं:
- चिंताजनक रुझान: विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले वर्ष की तुलना में चार प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ गया है।
- दिल्ली पर जारी संकट: देश की राजधानी दिल्ली में 2021 से वायु प्रदूषण में लगातार वृद्धि का अनुभव हो रहा है। पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मानकों द्वारा अनुशंसित सुरक्षित सीमा से अधिक हो गया है, जिससे इसके निवासियों के लिए गंभीर स्वास्थ्य चिंताएं बढ़ गई हैं।
- क्षेत्रीय असमानताएँ: जबकि कुछ शहरों में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखी गई, वहीं लखनऊ, पटना, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे अन्य शहरों ने पीएम 2.5 के स्तर को कम करने में कामयाबी हासिल की, जो सफल वायु गुणवत्ता सुधार प्रयासों की क्षमता को दर्शाता है। चेन्नई सबसे कम प्रदूषित पाया गया, जहां पिछले वर्ष के मुकाबले पीएम 2.5 के स्तरों में 23% से ज्यादा की गिरावट देखी गई है।
कोलकाता और हैदराबाद
हैदराबाद और कोलकाता में वर्ष 2022 के मुकाबले 2023 के अक्टूबर माह में पीएम 2.5 के स्तरों में वृद्धि दर्ज की गई है। हैदराबाद में वर्ष 2019 और 2020 के बीच पीएम 2.5 के स्तरों में 59% की वृद्धि हुई जबकि 2021 में इसमें 2.9% की मामूली सी और 2022 में 29.1% की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई थी।
मगर वर्ष 2023 में इसमें 18.6% का इजाफा हुआ है। कोलकाता में वर्ष 2019 और 2020 के बीच पीएम 2.5 के स्तरों में 26.8% तक की गिरावट हुई, जबकि साल 2021 में इसमें 51.7% का जबरदस्त उछाल आया। हालांकि 2022 में इसमें 33.1% की गिरावट आई। मगर 2023 में इसमें 40.2% की वृद्धि दर्ज की गई है।
बात दिल्ली की
दिल्ली में इस साल अक्टूबर में पीएम 2.5 का स्तर पिछले वर्ष के मुकाबले ज्यादा था और वर्ष 2021 से इसमें लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। दिल्ली इस विश्लेषण में शामिल किए गए आठ शहरों में सबसे ज्यादा प्रदूषित पाया गया है।
राष्ट्रीय राजधानी में वर्ष 2019 और 2020 के बीच पीएम 2.5 के स्तरों में बहुत तेज वृद्धि (32%) देखी गई थी। वहीं वर्ष 2021 में इसमें 43.7 फ़ीसदी की गिरावट भी दर्ज की गई थी। मगर 2022 और 2023 में इसमें लगातार बढ़ोत्तरी देखी गई है।
दिल्ली की हवा की गुणवत्ता पिछले साल 4.4% गिरी थी और यह 109.01 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से बढ़कर 113.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई थी। अक्टूबर 2023 में दिल्ली में पीएम 2.5 के स्तर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सुरक्षित सीमा 30 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के मुकाबले 3.7 गुना जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा यानी 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से 7.5 गुना ज्यादा थे।
मुंबई का मौसम
मुंबई पर गौर करें तो यहां वर्ष 2019 से 2023 तक अक्टूबर के महीने में पीएम 2.5 के स्तरों में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है, नतीजतन यहां की हवा की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है। पिछले महीने मुंबई में पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले इस वर्ष इसी महीने प्रदूषण में 42% से ज्यादा का उछाल आया है। इससे पहले के वर्षों पर निगाह डालें तो साल 2019 और 2020 के बीच मुंबई में पीएम 2.5 में 54.02% की जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई थी जबकि 2021 में इसमें 3% और 2022 में मात्र 0.9% की गिरावट दर्ज की गई थी।