कोलकाता। पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दावा किया है कि इस मामले में गिरफ्तारी के बाद जेल में बंद प्राथमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष और तृणमूल कांग्रेस के विधायक माणिक भट्टाचार्य के बीएड और डीएलएड कॉलेजों में एडमिशन लेने वालों को आसानी से शिक्षक की नौकरी मिल जाती थी।
एजेंसी ने इस बात का खुलासा किया है कि जो लोग इनके कॉलेजों में एडमिशन लेते थे उनसे जबरदस्त वसूली की जाती थी और शिक्षक की नौकरी देने के नाम पर ही वसूली होती थी। जो लोग रुपये देते थे वो क्लास नहीं करते थे तब भी उन्हें ट्रेंड टीचर का सर्टिफिकेट देकर गैरकानूनी तरीके से नौकरी दिलवाई जाती थी। जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि उनके बीएड और डीएलएड कॉलेजों में जिन छात्रों को ऑफलाइन भर्ती दिया जाता था उनसे पांच-पांच हजार रुपये की वसूली होती थी और वे बिना क्लास किए डिग्री हासिल कर लेते थे।
इनमें से सबसे अधिक निजी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों का एकाधिकार माणिक भट्टाचार्य के पास था। उसकी देखरेख और संचालन की जिम्मेदारी तापस मंडल और गोपाल दलपति जैसे एजेंटों को दी गई थी। ये सारे बीएड और डीएलएड कॉलेज ही गैरकानूनी शिक्षक नियुक्ति के अड्डा थे। यहीं से सूची बनती थी जो पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को भेजी जाती थी। यहां से रुपये वसूल कर दिए जाते थे जहां सरकारी नौकरियां मिलती थीं।