हिंदी साहित्य परिषद् की कोलकाता इकाई द्वारा आयोजित दो दिवसीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी, जिसका सिंहनाद था -“सकारात्मक ऊर्जा का शंखनाद”

रीमा पांडेय। Kolkata Desk : हिन्दी साहित्य परिषद की कोलकाता इकाई की दो दिवसीय ऑनलाइन काव्य गोष्ठी 30 मई को आरम्भ होकर 31 मई, 2021 को बहुत ही धूम धाम से संपन्न हुआ।कार्यक्रम का शुभारंभ बिहार के राजीव नंदन मिश्रा ने गणेश वन्दना सुनाकर किया। तत्पश्चात कोलकाता के आलोक चौधरी एवं मध्य प्रदेश के गीतेश्वर बाबू ‘घायल’ ने माँ सरस्वती की वन्दना प्रस्तुत कर कार्यक्रम का शंखनाद किया।

30 मई, 2021, कार्यक्रम के पहले चरण का आरम्भ करते हुए – परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शुक्ला ने मुख्यअतिथि – विजेंद्र शर्मा, जो कि बीएसएफ ईस्टर्न कमांड के कमांडेंट हैं और अपने दोहों के लिए प्रसिद्ध हैं, उनका परिचय दिया और उन्हें काव्य पाठ के लिए आमंत्रित किया। विजेंद्र शर्मा ने कहा – “साहित्य का उद्देश्य मात्र मनोरंजन नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों को जगाये रखने का एक प्रयास होना चाहिए” और उन्होनें अपने दोहे के माध्यम से कोरोना काल में सावधान रहने का निर्देश दिया – “अभी मिलन सब भूल जा, अभी दिला मत याद… गले लगायेंगे तुझे, कोरोना के बाद”।

उसके बाद संचालन का कार्यभार संभालते हुए “वक़्त की ख़ासियत है वो टल जाएगा” – इस सकारात्मक गीत से कवयित्री प्रियंका सिंह ने कविता पाठ का प्रारम्भ किया। इस कार्यक्रम में विशेष रूप से मॉरीशस से सविता तिवारी जी भी जुड़ीं जिन्होंने “छोटे छोटे कदम, थोड़ा थोड़ा रोज़”- हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए सभी से सकारात्मक रहने की प्रार्थना की।
उसके बाद देश प्रदेश से जुड़े विभिन्न अन्य रचनाकारों ने भी अपना काव्य पाठ प्रस्तुत किया।

सभी काव्य मनीषियों की उत्तम रचनाओं में – मध्य प्रदेश के गीतेश्वर बाबू घायल जी की – “कलमुंही नौकरिया”, मौसमी जी की – “चलो आओ थोड़ा जी लेते हैं”, हिन्द मोटर के देवेश मिश्रा जी की – “इस बंगाल की माटी का जब जब गीत लिखा मैंने”, नन्दनी प्रनय, रांची की – “जग्दायिनी जगतारिणी हे भवानी माँ”, प्रियंका चौरसिया, कोलकाता की – “पर्यावरण को हम बचाएं”, रीमा पांडेय, कोलकाता की – “लिक्खूंगी मैं अपनी किस्मत”, एवं नंदू बिहारी, कोलकाता की – “करो लेखनी जय जयकार”.. विशेष रूप से सराही गयी।

इसी चरण में – अलका अनमोल – बालाघाट, अर्चना बामनगया – ग्वालियर, जय प्रकाश पाण्डेय – प्रतापगढ़, अनीता मंदिलवार – अंबिकापुर, खुशबू बरनवाल ‘सीपी’ – राँची, सुधा सिन्हा – राँची, संजय कु० अंबस्ट – पटना, कामायनी संजय – कोलकाता, महेन्द्र नाथ मिश्र – कोलकाता, श्वेता गुप्ता ‘श्वेतांबरी’ – कोलकाता, श्रीकृष्ण शुक्ल – मुरादाबाद, रूणा रश्मि – रांची, डॉ. उषा पाण्डेय – कोलकाता, रेखा शर्मा स्नेहा – मुजफ्फरपुर, पूनम शर्मा स्नेहिल – गोरखपुर, कामना मिश्रा एवं डॉ. निर्मला शर्मा ने भी अपनी रचनाओं से सबको मन्त्र मुग्ध कर दिया।

इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में 31 मई का प्रारम्भ मध्य प्रदेश की वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती सरिता संघई ने सरस्वती वन्दना के साथ किया और अपना काव्य पाठ करते हुए सबसे निवेदन किया – “वैक्सीन लगवा लो भैया, जीवन सुरक्षित कर लो” इसी चरण में विशिष्ट अतिथि के रूप में वाराणसी के भूषण त्यागी जी भी उपस्थित थे। उन्होनें – “रुको, मौसम ने लगाई घात है, छोड़ो नहीं….अभी तो हर ओर झंझावात है, छोड़ो नहीं” – अपनी रचना से सबको हौसला बनाये रखने की प्रार्थना की।

इस चरण का संचालन श्रीमती मौसमी प्रसाद ने बहुत ही बेहतरीन ढंग से किया। इस चरण में मुख्य रूप से – रांची की स्नेहा राय की – “धुँआ धुँआ सा है शहर”, पटना के नसीम अख्तर की – “ज़हर लहजे से कदूरत का निकालो यारों”, रांची के नेहाल हुसैन की – “वक़्त में इंक़लाब आ रहा है”, दिल्ली के अनिल शर्मा जी की– “सहमी हुई हवाओं के आसार देखिये”, बिहार के राजीव नंदन मिश्रा की – “मानव फंस जग चक्रव्यूह में”, कोलकाता के संदीप गुप्ता की – “दौर है यह कठिन”, कोलकाता के आलोक चौधरी की – “ये मुझको स्वीकार नहीं”, श्री संजय शुक्ला जी की – “राह काँटों से भरी पर, सामने मंजिल खड़ी है” एवं श्री डॉ. गिरधर राय जी की – “लॉक डाउन में शादी” – इन रचनाओं ने सभी का मन मोह लिया।

इनके अलावा – सौरभ शुक्ल बस्ती,उ.प्र., पुष्पा सहाय ‘गिन्नी’, रांची, दीप्ति गौड़, ग्वालियर, डॉ. चमन सिंह ठाकुर, हिमाचल प्रदेश, विकास सोलंकी, मधु शंखधर, प्रयागराज, संतोषी दीक्षित, कानपुर, तारा सिंह ‘अंशुल’, विवेक शर्मा, कोलकाता, आर.के.गुप्ता, एवं दयानंद सिंह जी ने भी अपनी प्रस्तुतियों से कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।

अंत में परिषद् के राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. गिरधर राय ने परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संजय शुक्ला जी के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कार्यक्रम की सफलता के लिए सभी प्रतिभागियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया और आशा जताई कि भविष्य में ऐसी ही सकारात्मक सोच वाले और भी कार्यक्रम किये जायेंगे।

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