विनय सिंह बैस की कलम से… “जब पापा हमसे मिलने हैदराबाद आये थे”
नई दिल्ली । 2004 की बात है!! मैं उस समय हैदराबाद में था और क्रिकेट
विनय सिंह बैस की कलम से…बचपन वाली दीवाली!!
नई दिल्ली । बचपन की दीपावली का मतलब छोटी दीवाली, बड़ी दिवाली और उसके बाद
हम सभी में बसा है एक शिशु…
प्रफुल्ल सिंह “बेचैन कलम”, लखनऊ। आज एक छोटे बच्चे का गाया शिव ताण्डव स्तोत्र सुन
सुंदर पिचाई पर कोई फिल्म क्यों नहीं बनाता…!!
तारकेश कुमार ओझा। 80 के दशक में एक फिल्म आई थी, नाम था लव –
मैं कतरा हो के भी तूफ़ां से जंग लेता हूं (हास-परिहास)
विषय बदल गया है साल तक जिन कृषि कानूनों के फायदे समझा रहे थे अचानक
किन बातों को अपनाना या छोड़ना (विरासत)
लगता है जैसे तमाम लोग मानते हैं कि हमारी सभी पुरानी ऐतहासिक धार्मिक किताबों की
बक्साहा के जंगल का मानव जीवन पर प्रभाव
वैश्विक स्तर पर ओजोन स्तर में क्षरण के प्रभाव से जीवों की इम्यूनिटी क्षीण होगी
एक रुपये की इज़्ज़त का सवाल
इधर लोग अपनी इज़्ज़त की बात लाखों नहीं करोड़ों में करने लगे थे। मानहानि के