खुशखबरी : 25 रचनाकारों का साझा काव्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य, अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें
रचनाकारों के लिए खुशखबरी हिंदी कविताओं का संग्रह 25 रचनाकारों का साझा काव्य संग्रह शीघ्र
डीपी सिंह की कुण्डलिया
सूखा कचरा डालिए, नीले कूड़ेदान। गीले कचरे के लिए, हरा रंग श्रीमान।। हरा रंग श्रीमान,
उत्तर कभी ना मिला (गीत) : पारो शैवलिनी
*उत्तर कभी ना मिला* नि:शब्द रात में, सुने हो क्या पृथ्वी का रोना। एकान्त दोपहर
डीपी सिंह की कुण्डलिया
फिर से आए बुद्ध तो, फिर होगा इक बार। हिंसक पशु के सामने, हिन्दू ही
दामन छोडावत जाता (कविता)
दामन छोडावत जाता उहँवे जाके अंटकि जाता, जहाँ से दामन छोडावत जाता, चलल रहे जहँवा
“बिदाई ” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा
‘जब तक सूरज चाँद रहेगा, बिराज तेरा नाम रहेगा‘…. ‘भारत माता की जय’ की गगन
डीपी सिंह की कुण्डलिया
पप्पू कह कह कर जिसे, करें नज़र अन्दाज़। देश द्रोह के कोढ़ में, वो है
प्रमोद तिवारी की कविता : “तुमको कहाँ देखा”
“तुमको कहाँ देखा” कौन कहता है, मैंने ‘तुमको’ देखा है? मैंने इस जनम तो क्या
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “कल फिर आऊंगा”
“कल फिर आऊंगा” जरा डूबते सूरज को देखो कह रहा है मैं अभी चूका नहीं
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गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता (निबंध)
*गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता* वसंत के रंगोत्सव से लेकर तप्त गर्म माहों तक,