क्या आप जानते हैं, विचार करें ।।

नामुमकिन कुछ भी नहीं है अच्छे दिन लाना भी मुमकिन था मगर अच्छे दिन लाने

वार्तालाप भगवान का ( हास-परिहास ) : डॉ लोक सेतिया 

उठो अब तो जागो आपको काम पर जाना है बहुत दिन घर पर आराम कर

सावधान ये पोस्ट मत पढ़ना परेशान हो जाओगे

आज इक पोस्ट पर सवाल किया गया था एलोपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट्स क्यों होते

रौशनी नज़र मंज़र उजाला और तलाश में भटकते हम लोग 

आज शुरुआत करते हैं इंसान के इंसान को समझने से और चर्चा करेंगे भगवान तक

खत हवेली का फुटपाथ के नाम ( व्यंग्य-व्यथा ) : डॉ. लोक सेतिया

सत्ता का मज़ाक है कि अट्टहास है क्या है। ये जो बिगड़े रईस ज़ादे होते

डॉ. लोक सेतिया की कविता : “कैद”

“कैद” कब से जाने बंद हूं एक कैद में मैं छटपटा रहा हूँ रिहाई के

शहंशाह तलाश लिया हमने ( व्यंग्य ) : डॉ. लोक सेतिया

नारद जी को समझना था या समझाना उनको पता नहीं चला मगर जैसा उन्होंने वादा

अच्छी सच्ची जनता की नाकाबिल झूठी सरकार

ये सवाल कभी शायद खुद आपने भी अपने आप से किया हो। यूं ये सवाल

कौन पहचानता है असली-नकली

जवाहर लाल नेहरू जी के निधन को आज 56 साल हो गये। आज कितने लोग

बदनसीबी को नसीब समझते हैं जो लोग

सच सच बताओ क्या हमारे देश की स्वस्थ्य व्यवस्था जैसी है विश्व भर की उसी