गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : ताला

ताला ******* असल में मेरा नाम है ताला सारे घर का मैं रखवाली करता हूँ,

पारो शैवलिनी की कविता : यही सच है

यही सच है यही सच है, कि- जिन्दगी है तो मौत भी होगी। फिर, मौत

नीक राजपूत की कविता : अंधश्रद्धा

अंधश्रद्धा अंधश्रद्धा जिसके नाम के आगे भी अंध, आता है उनमें में श्रद्धा कैसी आज

गोपाल नेवार, “गणेश” सलुवा की कविताएं

मजबूरी ********* थक चुका है मांगकर भीख बहाकर अपनी आँसू को, मजबूर हो गए भूख

गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : कोरोना वायरस

कोरोना वायरस ************* क्या-क्या गज़ब का खेल दिखाया है तूने वो कोरोना वायरस, वर्षों से

अर्जुन तितौरिया की कविता : चरण वंदन श्री रघुनंदन जी की

चरण वंदन श्री रघुनंदन जी की चरण वंदन श्री रघुनंदन जी की कौशल्या दशरथ नंदन

पारो शैवलिनी की कविता : फागुन में

फागुन में उनकी यादें सताने लगे फागुन में। कोयलिया कूकी डारी पे, लगा मुझे तुम

प्रमोद तिवारी की कविता : कुरूक्षेत्र मेरी नजर से (चतुर्थ भाग)

कुरूक्षेत्र मेरी नजर सेः चतुर्थ भाग था पांचजंय बज उठा, और रण का घोष हो

अजय तिवारी “शिवदान” की कविता : “खुद की जिंदगी”

“खुद की जिंदगी” सबकी परवाह करते करते, खुद की जिंदगी बेपरवाह हो गई है। सबकी

गोपाल नेवार की कविता : दुनियाँ कहाँ जा रहा है

दुनियाँ कहाँ जा रहा है समाज का माहौल बिगड़ता जा रहा है कैसे समझाएं समझ