आर बी दास की कविता : जिंदगी की तपिश
“जिंदगी” की “तपिश” को सहन कीजिए जनाब, अक्सर वे पौधे “मुरझा” जाते हैं जिनकी परवरिश
राजीव कुमार झा की कविता : फूलों की रानी
।।फूलों की रानी।। राजीव कुमार झा कभी प्यार की धूप में आकर नदी के किनारे
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष : राम प्रह्लाद की कविता – भाषा
।।भाषा।। राम प्रह्लाद भाषा भावों की अभिव्यक्ति है भाषा जन-जन की शक्ति है भाषा के
डॉ. आर बी दास की कविता : जिंदगी यही है
।।जिंदगी यही है।। डॉ. आर बी दास सोचता हूं अक्सर क्या जिंदगी यही है, सब
राजीव कुमार झा की कविता : ठहरा हुआ पानी
।।ठहरा हुआ पानी।। राजीव कुमार झा तुम इसी तरह कभी पास आती गुलजार हो जाती
राजीव कुमार झा की कविता : वसंत का आंगन
।।वसंत का आंगन।। राजीव कुमार झा जिंदगी के जंगल में खुशियों का झंडा लेकर वसंत
राजीव कुमार झा की कविता : कितने दिनों तक
।।कितने दिनों तक।। राजीव कुमार झा दिल्ली की हवा में तुम्हारे प्यार के किस्से गूंजते
डॉ. आर.बी. दास की कविता : बस यही जिंदगानी है
।।बस यही जिंदगानी है।। डॉ. आर. बी. दास यहां हर दिल में एक अधूरी सी
राजीव कुमार झा की कविता : सच्चा प्यार
।।सच्चा प्यार।। राजीव कुमार झा समुद्र की लहरों पर थिरकती हुई खामोशी कितनी दूर यहां
डॉ. आर.बी. दास की रचना : खुद को खो दिया हमने
खुद को खो दिया हमने, अपनो को पाते पाते, लोग कहते हैं हम मुस्कुराते बहुत