साहित्यडीपी सिंह की कुण्डलिया Posted on January 4, 2021 by admin बैठे हैं नव वर्ष में, जाल लिए मुस्तैद। जैसे गुजरेगी ख़ुशी, कर लेंगे हम क़ैद।। कर लेंगे हम क़ैद, रखेंगे उसे सम्हाले। ऐश करेंगे आप, और हम बैठे ठाले।। नहीं खुशी के बीच, तीसरा कोई पैठे। कटे साल इक्कीस, मौज से, बैठे बैठे।। मनुष्य का मिलन स्थल बने खड़गपुर पुस्तक मेला फीस वृद्धि पर भड़के पांशकुड़ा कॉलेज के विद्यार्थी