विनय कुमार, कोलकाता। भगवान शिव के क्रोध भरे तांडव से जब पृथ्वी पर प्रलय का खतरा बढ़ने लगा, तब उन्हों रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया। मां सती के शरीर के हिस्से धरती पर जहां गिरे, वहां एक शक्तिपीठ की स्थापना हुई। ऐसे कुल 51 शक्तिपीठों का निर्माण हुआ। इन शक्तिपीठों समेत दुनिया में माता की करीब 422 स्वरूपों की पूजा होती है। उन सभी स्वरूपों के दर्शन कोलकाता के अलीपुर स्थित शक्ति माता देवी विश्वदर्शन संग्रहालय में कर सकते हैं।
न्यू अलीपुर के 65 वर्षीय प्रवीर कुमार मिश्रा ने गहन शोध व अध्ययन के बाद 2015 में इस संग्रहालय की स्थापना की थी। प्रवीर जी बताते है, “गहन धार्मिक आस्था के कारण बचपन से ही मुझे देवी-देवताओं में विशेष रूची थी। छोटी उम्र से ही अपनी माँ के साथ यात्रा करते समय मैं विभिन्न शक्ति पीठों से देवी दुर्गा और माँ काली की तस्वीरें खींचता था और अपने घर के एक कमरे में देवी-देवता की तस्वीरें और मूर्तियां इकट्ठा करता था।”
उन्होंने कहा, “ब्रह्मा-विष्णु-महेश्वर से लेकर राधाकृष्ण, लक्ष्मी-गणेश, नवदुर्गा, पंचदुर्गा, जगद्धात्री, शिव तक, नियमित रूप से सभी हिंदू देवताओं की मूर्तियों और छवियों की पूजा करता हूं। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस संग्रहालय का उद्घाटन किया था। बहुत से लोगों को पता भी नहीं है कि शहर के बीचो-बीच ऐसा कोई संग्रहालय भी है। 2022 में यूनेस्को के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस संग्रहालय का दौरा किया था।”
उन्होंने बताया, “यह संग्रहालय आम लोगों के लिए खुला रहता है। केवल पूजा के दौरान इसमें प्रवेश की अनुमति नहीं है। नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, यूएई, ब्रिटेन, पाकिस्तान, अगानिस्तान, मलेशिया समेत भारत के अन्य राज्यों के देवी-देवताओं की तस्वीरें यहां संग्रहित की गई है।” बता दें कि इस विशेष संग्रहालय के लिए प्रवीर कुमार मिश्रा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समेत कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। उनके नाम 32 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हैं।