।।आई दिवाली, आई दिवाली।।
आयी दिवाली, आयी दिवाली,
साथ में ढेरों खुशियाँ लायी दिवाली।
दिवाली की तो है रस्म निराली,
अंधकार का नाशक है दिवाली।
पर्व, यह जो बच्चों-बूढ़ों सबको भाए,
जिसकी ज्योति में अंधेरा जगमगाए।
सनातनी पहचान है दीपों की आवली,
भारतीय संस्कृति की है न्यारी दिवाली।
घर-द्वार, मुहल्ले-नगर की करो सफाई,
फिर बाँटों सबमें खूब
प्यार-मुहब्बत-मिठाई।
तम-गंदगी का कहीं न हो नाम-निशान,
क्योंकि हमारी सतरंगी उज्ज्वल दिवाली आयी।
लेकिन प्रकाश पर्व में यह भूल न जाना,
पड़ोसी, पशु-पक्षी को न तकलीफ पहुँचाना।
अपने सुखों में ही न इतना खो भी जाना,
अपने बंधुजनों के द्वार को भी भूल न जाना।
आओ सभी हम प्रेम का दीप जलाये,
परस्पर मिल कर हम सब खुशी मनाएँ।
आयी दिवाली आयी दिवाली,
साथ में ढेरों खुशियाँ लायी दिवाली।
अंकित कुमार
कक्षा-सातवीं
श्री जैन विद्यालय, हावड़ा।