गोपाल नेवार की कविता : “ज़िन्दगी”

“ज़िन्दगी”

ऐ ज़िन्दगी है यारों
कठिन है राहें यारों ।
आसान नहीं मंजिल पाना
कभी छीनकर, कभी लड़कर,
कभी जूझकर, कभी हाथ मिलाकर
हासिल होती है मंजिल यारों ।

ऐ ज़िन्दगी है यारों
कठिन है राहें यारों ।
उतार-चढ़ाव का नाम है ज़िन्दगी
खुशी-गम का नाम है ज़िन्दगी,
रो-रोकर जीना भी कोई ज़िन्दगी है
ज़िन्दगी जिन्दादिली का नाम है यारों ।

गोपाल नेवार,  गणेश  सलुवा ।

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