बंगीय हिंदी परिषद में तुलसी जयंती का आयोजन

कोलकाता। कोलकाता की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था बंगीय हिंदी परिषद में नवांकुर द्वारा तुलसी जयंती का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखिका डाॅ. सुशीला ओझा ने किया। मुख्य वक्ता के रूप में हुगली मोहसिन काॅलेज के प्रोफेसर रंजीत कुमार संकल्प उपस्थित थे। अन्य वक्ताओं के रूप में भानु प्रताप पांडेय, निखिता पांडेय और रोहित साव ने तुलसी साहित्य पर अपने विचार प्रस्तुत किए।

स्वागत वक्तव्य में परिषद के मंत्री डाॅ. राजेन्द्रनाथ त्रिपाठी ने सभी श्रोताओं तथा विद्वानों का स्वागत करते हुए कहा कि हमें तुलसी को किसी धर्म या संप्रदाय के चश्मे से न देखकर उन्हें एक समन्वयवादी दृष्टिकोण से देखना चाहिए। तुलसी के राम एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार हैं, जिन्हें भारतीय मूल्यबोध का मूर्त स्वरूप कहा जा सकता है।

कार्यक्रम के पूर्व तुलसीदास जी को नमन करते हुए उपस्थित सभी वक्ताओं एवं श्रोताओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई जिसे परिषद के उपाध्यक्ष रमाकांत सिन्हा ने प्रस्तुत किया। अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. सुशीला ओझा ने समस्त वक्ताओं के वक्तव्यों की सराहना की और कहा कि तुलसी एक ऐसे युगपुरुष हैं,जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है।

मुख्य वक्ता प्रो. रंजीत कुमार ने कहा कि हम तुलसी को पढ़ तो लेते हैं लेकिन उसे समझकर उनके आदर्शों को जीवन में नहीं उतारते हैं। तुलसीदास जी का सम्पूर्ण जीवन ही हमारे लिए प्रेरणास्रोत है। वक्ता के रूप में उपस्थित भानु प्रताप पांडेय जी ने तुलसी को भारतीय एवं पाश्चात्य संदर्भों से जोड़ा और सोचने की एक नवीन दिशा प्रदान की। कुछ श्रोताओं ने भी तुलसी पर अपने अनुभवों को साझा किया।

श्रोता के रूप में सपना खरवार, सुनीता खरवार, डाॅ. शिप्रा मिश्रा, ख़ुशबू कुमारी पटवा, ज़ोया अहमद, निखिता पांडेय, भानु प्रताप पांडेय, सिमरन प्रसाद, आदित्य तिवारी, निधि कुमारी सिंह, प्रणति ठाकुर, रश्मि कुमार, कंचन कुमारी साहा, करूणा जैसवारा, नंदलाल रौशन,रोहित साव, प्रभाकर कुमार साव, सुशील सिंह, पुष्पा रजक, तथा नेहा साव आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन नवांकुर की संयोजिका सुश्री सपना खरवार ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन परिषद के प्रबंध मंत्री पुनीत अग्रवाल जी ने दिया।

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