कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में हुए खून-खराबे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर किए गए तीखे हमले के जवाब में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को कहा कि उन्हें हिंसा और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर बोलने का “नैतिक अधिकार” नहीं है। प्रधानमंत्री के भाजपा के पूर्वी क्षेत्र पंचायती राज कार्यशाला को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करने के बाद जारी वीडियो में मुख्यमंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव हिंसा के बारे में बात की है।
यह वास्तव में भाजपा की राज्य इकाई द्वारा योजनाबद्ध और प्रचारित किया गया था। ग्रामीण निकाय चुनावों के दौरान भाजपा समर्थित गुंडों ने लगभग 17 लोगों की हत्या कर दी। प्रधानमंत्री को ऐसी बातें कहने से पहले राजनीतिक शिष्टाचार सीखना चाहिए। उन्हें ऐसे समय में पश्चिम बंगाल में हिंसा के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है जब वह मणिपुर में स्थिति को नियंत्रित करने में वह असमर्थ हैं।”
बनर्जी ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को संबोधित करना ऐसे समय में प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता जब वह खुद भ्रष्टाचार के घेरे में हों। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ बोल रहे हैं लेकिन अपनी ही पार्टी के भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में असमर्थ हैं। पीएम केयर फंड से लेकर राफेल डील तक हर जगह भ्रष्टाचार हुआ है। यहां तक कि देश में नोटबंदी और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के निजीकरण का प्रयास भी सवालों से परे नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री को आम लोगों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और उन्हें मूर्ख नहीं समझना चाहिए। उन्होंने कहा, ”नोटबंदी भाजपा के हितों की पूर्ति के लिए की गई थी। नोटबंदी के फैसले के पीछे कोई राष्ट्रीय हित शामिल नहीं था। यदि आप कहीं से शुरुआत करना चाहते हैं तो आपको अपनी पार्टी की सफाई से शुरुआत करनी चाहिए।
आप अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं जो आम लोगों को आतंकित करने और महिलाओं को परेशान करने में शामिल हैं? आप मणिपुर हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं?”
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान कांग्रेस पर ग्रामीण नागरिक निकाय चुनावों में “खून से खेलने” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “पूरे देश ने तृणमूल कांग्रेस के खून के इस खेल को देखा है, जहां न केवल भाजपा समर्थक और नेता बल्कि आम मतदाता भी तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई हिंसा का शिकार बने।
“सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा की गई भारी हिंसा के बावजूद भाजपा उम्मीदवारों ने पंचायत चुनावों में कई सीटें जीतीं। चुनाव ख़त्म होने के बाद भी हमारे विजयी उम्मीदवारों को सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं के हमलों का सामना करना पड़ रहा है।”