कोलकाता। नीमराना रिसॉर्ट में फ्रॉड करके राजस्थान के निवेशकों के करोड़ों रुपए डकारने के बाद कोलकाता बेस्ड कंपनी वेदिका संजीवनी प्रोजेक्टस प्रा. लि. और उससे जुड़े रहे निदेशकों संजय पसारी, राजीव पसारी, राजकिशोर मोदी, सुजाता मोदी और सिद्धार्थ जयपुरिया की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। राजस्थान पुलिस और गिरफ्तारी से बचने के लिए कभी राजनीतिक पहुंच के सहारे सिफारिशें लगा रहे हैं तो कभी कोर्ट से राहत पाने की कोशिश में लगे हैं। अब राजीव पसारी ग्रुप ने इस फ्रॉड में राहत पाने के लिए कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) कोलकाता में याचिका लगाई है।
राजस्थान के निवेशकों का दावा है कि इसमें राजीव पसारी और उसके साथियों ने गलत तथ्य प्रस्तुत करके एनसीएलटी को गुमराह करने की कोशिश की है। इधर, इस बारे में खासखबर डॉट कॉम ने पसारी बंधुओं से उनका पक्ष जानने की कोशिश की। लेकिन, वह कुछ बोलने को तैयार नहीं है।निवेशकों का कहना है कि इन लोगों ने खेती की जमीन पर 400 करोड़ रुपए का लोन बैंकों से उठा लिया। जबकि इस जमीन का लैंड टाइटल भी क्लियर नहीं था।
इतनी बड़ी राशि का लोन बिना बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के नहीं दिया जा सकता। इसलिए इसकी ईडी और सीबीआई जांच भी होनी चाहिए। निवेशकों के मुताबिक रोहित कपूर और बालाजी जोशी की कोर्ट में राजीव पसारी ने इस जमीन पर लोन देने वाली बैंक ITCL (India) infra को झूठमूठ की पार्टी बना लिया। साथ ही इस केस में बड़ा फ्रॉड यह है कि जो कंपनी NCLT में पक्षकार (पार्टी) बनकर गई है।
उसके नाम पर राजस्थान के राजस्व ग्राम शाहजहांपुर में कोई जमीन ही राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। निवेशकों के मुताबिक याचिका संख्या सीवी/39/केबी/2023 साइल बिजनेस प्रा. लि. की ओर से वेदिका संजीवनी प्रोजेक्टस प्रा. लि. के खिलाफ पेश की गई है। मजेदार तथ्य यह है कि इन दोनों कंपनियों में ही राजीव पसारी निदेशक है। यानि, एक हाथ ने दूसरे हाथ को कटवाने के लिए केस किया है।
पसारी बंधुओं का याचिका में कहना है कि 400 करोड़ रुपए का लोन लेकर हमसे बहुत बड़ी भूल हो गई जो इस जमीन को लोन पर दे दिया। हमें इस भूल पर न्याय दिलाओ। जबकि इन्होंने नीमराना रिसॉर्ट की जमीन में पहले ही प्लॉट काटकर निवेशकों को बांट दिए थे। अब फैसला जो भी हो, दोनों ही परिस्थितियों में फायदा राजीव पसारी एंड ग्रुप को ही होगा। शेयर होल्डरों और निवेशकों का पैसा एनसीएलटी के माध्यम से डूबत खाते में चला जाएगा।
उल्लेखनीय है कि संजय और राजीव पसारी बहुत बड़े फ्रॉड हैं। देश के प्रमुख समाचार पत्रों, वेबसाइट और इंटरनेट पर इनके फ्रॉड के किस्से भरे पड़े हैं। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूएस अथॉरिटी के जस्टिस डिपार्टमेंट एंड एक्सचेंज कमीशन से इन दोनों पर अधिकारियों को रिश्वत देने के गंभीर आरोप लग चुके हैं। जेनेवा की कोर्ट ने इनके बैंक खाते तक सीज कर दिए थे।
इन सबके अलावा कोलकाता हाईकोर्ट में इनकम टैक्स के प्रिंसिपल डायरेक्टर ने ब्लैक मनी (अनडिसक्लोेज्ड फॉरेन इनकम एंड असेट) इंपोजीशन का इनकम टैक्स एक्ट 2016 के तहत मुकदमा किया हुआ है। अब हाल में ही इन मुल्जिमों के खिलाफ राजस्थान के शाहजहांपुर में आईपीसी की धारा 420, 406 और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज हो चुकी है। इस केस में भी पुलिस इन्हें फरार घोषित करके गिरफ्तारी वारंट लेने की तैयारी कर रही है।