पटना। बिहार में सीएम नीतीश कुमार की कैबिनेट ने शिक्षक भर्ती के नियमों में बदलाव किए हैं। नए नियमों के तहत बिहार में शिक्षक बनने के लिए अब दूसरे राज्य के उम्मीदवार भी आवेदन कर सकेंगे। बिहार स्टेट स्कूल टीचर रूल्स 2023 के नियमों में बदलाव करते हुए उस नियम को बदल दिया गया है, जिसमें आवेदक का बिहार से होना ज़रूरी नियम था। एडिशनल चीफ सेक्रेटरी एस सिद्धार्थ ने कैबिनेट मीटिंग के बाद इस फ़ैसले का ऐलान किया। द हिंदू की खबर के मुताबिक़, बैठक में कुल 25 फ़ैसले लिए गए।
बिहार सरकार के इस फ़ैसले का टीचर्स एसोसिएशन ने विरोध किया और नए नियमों को वापस लिए जाने की मांग की है। टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि सरकार के इस फ़ैसले से बिहार के युवाओं को संघर्ष करना पड़ेगा। बीते चार सालों से भर्ती का इंतज़ार कर रहे अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार का ये फ़ैसला मानसिक प्रताड़ना है।
बिहार प्राइमरी यूथ टीचर्स एसोसिएशन यानी बीपीटीए के प्रेजिडेंट दीपांकर गौरव और नीतेश पांडे ने इस फ़ैसले की आलोचना की है। गौरव ने कहा, ”बिहार सरकार का फ़ैसला स्वागत योग्य नहीं है और हम इसकी आलोचना करते हैं। दूसरे राज्य बिहार के लिए दरवाजा बंद कर रहे हैं जबकि हमारा बिहार दूसरे राज्यों के लोगों को मौक़ा दे रहा है। ऐसे में जब बाहर के लोग यहां नौकरी लेने आ जाएंगे तो बिहार का बेरोज़गार युवा कहां जाएगा?
सरकार को इस फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए। वरना पूरे राज्य में आंदोलन होगा। नीतेश पांडे ने कहा, ”अगर सरकार ने दो दिन में ये फ़ैसला वापस नहीं लिया तो पूरे राज्य में चक्का जाम कर दिया जाएगा। बिहार में सरकारी नौकरी में भर्ती को लेकर पहले भी युवा कई बार सड़कों पर उतरे हैं। कभी वक़्त से परीक्षा करवाए जाने को लेकर तो कभी भर्ती की मांग को लेकर। ऐसे में बिहार सरकार के इस फ़ैसले के बाद भी ये सवाल बना हुआ है कि राज्य के युवाओं की आने वाले दिनों में इस फ़ैसले पर कैसी प्रतिक्रिया होगी।