कोलकाता विशेष, राज कुमार गुप्त : बंगाल की दुर्गा पूजा की गूंज विश्व के हर कोने में गूंजती हैं। विशेष साज सज्जा और प्रतिमा के लिए विख्यात कोलकाता की विशेषता लोगों को देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी खींच लाती है। लेकिन इस वर्ष कोरोना महामारी ने लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कोरोना के कारण लगाये गये लॉकडाउन की वजह से आमलोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा। इस महामारी ने कई लोगों को बेरोजगारी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। इन सबके बीच एक ऐसा भी तबका है, जिनका महामारी का सबका असर पड़ा।
हम बात कर रहे है एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी के यौनकर्मियों की। कोरोना महामारी ने सबसे ज्यादा आघात इनके रोजगार पर किया। बावजूद इसके उन्होंने दृढ़ता का परियच देते हुए विगत 7 सालों से चली आ रही दुर्गा पूजा का आयोजन किया। यह अपने आप में अतुलनीय कार्य है। इनके इस काम में दुर्बार महिला समन्वय कमेटी का भरपूर योगदान दिया। इनके इन्हीं अथक प्रयास को देखते हुए 2020 में महासप्तमी के दिन कोलकाता हिंदी न्यूज़ की टीम ने श्रेष्ठ पूजा सम्मान देने के क्रम में इनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए इन्हें भी ट्रू स्प्रिट अवार्ड से सम्मानित किया।
यौनकर्मी के आंगन की मिट्टी से बनती है मां दुर्गा की प्रतिमा
देवी दुर्गा की प्रतिमा निर्माण में शास्त्रीय मत के अनुसार विभिन्न स्थानों की मिट्टियों को मूर्ति बनाने की मिट्टी में मिलाया जाता है जैसे सभी तीर्थों की, राज द्वार की, हस्तीसाल, घुड़साल के साथ ही यौनकर्मी के घर की मिट्टी। परंतु सभी नियमों का पालन करना संभव नहीं है अतः कोलकाता में सबसे बड़े मूर्ति कारों का मोहल्ला कुमोर्टुली अर्थात कुम्हारटोली के सभी मूर्तिकार बगल के सोनागाछी इलाके से ही वेश्याओं के घरों की मिट्टियां ले जाकर मां दुर्गा की मिट्टी में मिलातें हैं। परंतु कुछ वर्षों पहले इन्होंने भी मिट्टी देने से इनकार कर दिया था कारण जिनकी मिट्टी को पवित्र मानकर देवी की मूर्तियां गढ़ी जाती है।
ऐसे हुई शुरुआत….
पूजा आयोजन के लिए “दुर्बार महिला दुर्गोत्सव कमिटी” द्वारा साल 2013 से दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई, अनेकों बाधा विघ्नों के बीच, 2016 में एक बार पूजा बंद भी हुई। उन्हें ही सार्वजनिक रूप से मूर्तियों की पूजा का अधिकार नहीं था। फिर शुरू हुआ इनका 2013 में एक घर के अंदर दुर्गा पूजा कारण प्रशासन ने बाहर रास्ते के ऊपर इन्हें सार्वजनिक पूजा की अनुमति नहीं दी थी अतः इन्होंने कोलकाता हाईकोर्ट में आवेदन दाखिल किया और कानूनी लड़ाई शुरू हुई और अंततः अगस्त 2017 में केस का फैसला इनके पक्ष में आया और कोलकाता हाईकोर्ट की अनुमति के अनुसार मस्जिद बाड़ी स्ट्रीट में 20 फुट लंबा और 8 फुट चौड़ा जगह पर इन्हें सार्वजनिक दुर्गा पूजा की अनुमति मिल गई।
क्या है दुर्बार महिला समन्वय समिति
भारत का वृहत्तम यौन कर्मियों का केंद्र कोलकाता का सोनागाछी इलाका है। यहाँ पर लगभग 11000 यौन कर्मी काम करते हैं। इनकी एक संस्था है, “दुर्बार महिला समन्वय समिति”। इसका गठन 15 फरवरी 1992 को कोलकाता के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी में किया गया था। इस संस्था से पूरे बंगाल से लगभग 65000 यौन कर्मी जुड़े हुए हैं। संस्था महिलाओं के अधिकार और यौन कर्मियों के कानूनी अधिकार, नारी निर्यातन को रोकने एवं एचआईवी/एड्स के रोकथाम पर काम करती है। संस्था फोर्ड फाउंडेशन और नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (NACO) के सहयोग से यौन कर्मियों के अधिकारों की रक्षा और इनके वैकल्पिक रहन सहन की व्यवस्था करती है। साथ ही संस्था पूरे बंगाल में यौन कर्मियों के लिए मुफ्त चिकित्सालय भी चलाती है।
उनका ये प्रयास अभिनन्दनीय है, उन्हें इसके लिए साधुवाद दिया जाना चाहिए।
इस महती घटना पर आपका उत्तम लेख सराहनीय है