अनुराधा वर्मा “अनु” की कविता : संयुक्त परिवार

।।संयुक्त परिवार।।
अनुराधा वर्मा “अनु”

अपना ये संयुक्त परिवार
जहां खुले सुख समृद्धि का द्वार

सारे लोग जहां खुशी मनाये
लक्ष्मी हंसते खेलते आये

जिसके घर में हो सबका सम्मान
बाहर वाले रखे उस घर का मान

जिसके घर में हो लड़ाई
उस घर में दरिद्रता छाई

नारी जिस घर में करे चतुराई
भाई भाई में होय लड़ाई

जिस घर में हो नित्य पूजा पाठ
उस घर में रहता संवृद्घि का ठाट

घर बिगड़ता जब आए कुलनाशी
नहीं जुटता रोटी बासी

मां बाप की करे जो सेवा
मिलता रहे सुख का मेवा

मिल जाए जीवन में अच्छा साथी
पहुंच जाओगे मथुरा काशी।

अनुराधा वर्मा “अनु”

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