कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गांगुली की एकल पीठ से शिक्षक नियुक्ति से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई नहीं हटाई जाएगी। शुक्रवार देर रात सुप्रीम कोर्ट का आदेश कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंचा है। इसमें स्पष्ट कर दिया गया है कि केवल दो मामलों को जस्टिस गांगुली की पीठ से हटाया जाना है। दोनों ही मामले प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में भ्रष्टाचार से संबंधित है। इस संबंध में उन्होंने इंटरव्यू दिया था। बाकी 24 मामलों की सुनवाई उन्हीं की पीठ में होती रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भले ही दो मामले से वह हटाए जाएंगे लेकिन उस संबंध में उनका जो भी आदेश है वह जस का तस बरकरार रहेगा।
कलकत्ता हाईकोर्ट के एक सूत्र ने शनिवार सुबह बताया कि न्यायमूर्ति गांगुली की पीठ में रमेश मलिक नाम के एक व्यक्ति की ओर से दाखिल शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के मामले को हटाने का आदेश दिया गया है। इसी तरह से सौमेन नंदी ने भी प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली से संबंधित याचिका लगाई थी। इन्हीं दोनों मामलों को हटाया गया है। बाकी सभी मामलों की सुनवाई जारी रहेगी। दरअसल गत 13 अप्रैल को जस्टिस गांगुली ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और इसी मामले में हाल ही में गिरफ्तार किए गए कुंतल घोष को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करने का आदेश सीबीआई और ईडी को दिया था।
इसी संबंध में अभिषेक बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी जिसकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने दो मामलों को उनकी पीठ से हटाने का आदेश दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का भी विरोध केंद्र सरकार ने किया है। उच्चतम न्यायालय में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि न्यायाधीश गांगुली को हर तरह से परेशान किया गया है। उनके न्यायालय में ताला लगा दिया गया था।
बाहर विरोध प्रदर्शन किया गया था। किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया है। उनके खिलाफ आपत्तिजनक पोस्टर लगाए गए। जो लोग आरोपित हैं वे सरेआम जनसभा कर जस्टिस गांगुली के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का इस तरह का फैसला उनके मनोबल को ठेस पहुंचाने वाला होगा। हालांकि मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम उनके किसी भी आदेश को नहीं रोक रहे हैं। केवल दो मामले हटाए जाएंगे।