कोलकाता। पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने त्रिपुरा में बढ़-चढ़कर चुनाव प्रचार किया था लेकिन वहां उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। दोपहर 12:30 बजे तक चुनाव आयोग की वेबसाइट पर अपडेटेड अंतिम आंकड़े के मुताबिक पूरे राज्य में महज 0.85 फ़ीसदी वोट मिले हैं। इसके विपरीत ईवीएम में नोटा के पक्ष में 1.35 फ़ीसदी वोटिंग हुई है। इसी वजह से तृणमूल कांग्रेस के लिए बेहद असहज स्थिति बन गई है। कोलकाता के पंचाननतला में स्थित पार्टी मुख्यालय में वैसे तो सुबह से ही पार्टी के बड़े नेताओं का जमघट था और जश्न की तैयारी की गई थी लेकिन त्रिपुरा के परिणाम से सभी को मायूस किया है।
बहरहाल मेघालय में पार्टी पांच सीटें जीततीं नजर आ रही हैं। तृणमूल इसे लेकर उत्साहित है। पार्टी के एक नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि पश्चिम बंगाल से बाहर मेघालय में पार्टी का जनाधार बढ़ा है और वहां मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरती नजर आ रही है जो निश्चित तौर पर उत्साहित करने वाला है। त्रिपुरा की शिकस्त को लेकर उन्होंने कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उक्त नेता ने कहा कि इसकी क्या वजह है यह देखा जाएगा।
भाजपा नेता रथीन घोष ने कहा कि त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस को नोटा से भी कम वोट मिले हैं। शायद यह उनके लिए नैतिक जीत है। इसके लिए शुभकामनाएं। ऐसा लगता है जैसे तृणमूल के उम्मीदवारों ने हीं खुद को वोट नहीं दिया है। संवेदना जताने के लिए एक फुटबॉल और एक व्हीलचेयर देना होगा। (तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष फुटबॉल खेलने की वजह से चोटिल होकर अस्पताल में भर्ती हैं) उल्लेखनीय है कि तृणमूल सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को साथ लेकर खुद त्रिपुरा गई थी और विधानसभा चुनाव का प्रचार किया था।