कोलकाता। पश्चिम बंगाल में महंगाई भत्ता (डीए) की मांग पर चल रहे सरकारी कर्मचारियों के आंदोलन के बीच राज्य सरकार ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है। हालांकि भत्ते में अतिरिक्त बढ़ोतरी नहीं की गई है। बजट में प्रस्तावित घोषणा के मुताबिक तीन फीसदी महंगाई भत्ता और इसके पहले वर्ष 2020 में घोषित तीन फ़ीसदी को जोड़कर छह फीसदी बढ़ोतरी की घोषणा की गई है। केंद्रीय पैमाने के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों को 38 फ़ीसदी महंगाई भत्ता मिलता है लेकिन राज्य सरकार के कर्मचारियों का अंतर अभी भी 32 फ़ीसदी बना हुआ है। इसी को देने की मांग पर सरकारी कर्मचारियों का लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
अधिसूचना में कहा गया है कि डीए की गणना संशोधित मूल वेतन और गैर-अभ्यास भत्ता यदि कोई हो, को ध्यान में रखकर की जाएगी, लेकिन इसमें किसी अन्य प्रकार का वेतन शामिल नहीं होगा। अधिसूचना में कहा गया है कि डीए सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के साथ-साथ स्थानीय निकायों के कर्मचारियों के लिए भी स्वीकार्य होगा। प्रत्येक व्यक्तिगत मामले में देय संशोधित पेंशन और पारिवारिक पेंशन पर महंगाई राहत की मात्रा की गणना करना पेंशन वितरण प्राधिकारी की जिम्मेदारी होगी।
हालांकि राज्य सरकार के कर्मचारी इस अधिसूचना से खुश नहीं है। उनका कहना है कि सरकार ने केवल आंकड़ों का खेल किया है। तीन फ़ीसदी की बढ़ोतरी जो बजट में की गई थी केवल उतनी ही बढ़ोतरी हुई है। दो साल पहले की बढ़ोतरी को भी इसमें जोड़ दिया गया है जिसका क्रियान्वयन अभी तक नहीं हुआ है। यह भी केवल कागजी है। क्रियान्वयन कब होता है देखने वाली बात होगी। राज्य सरकार के आंदोलनकारी कर्मचारियों के मंच ने कहा कि जहां केंद्र सरकार के कर्मचारियों को उनके मूल वेतन का 38 प्रतिशत डीए मिलता है, वहीं उनके राज्य के समकक्षों को तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद उनके मूल वेतन का छह प्रतिशत डीए मिलेगा।