मालदा। बीते 7 नवंबर को एक प्रवासी श्रमिक को एक ठेकेदार ने बाहरी राज्य में काम दिलाने के लिए ले गया। लेकिन घर से निकलने के बाद से उसका कोई पता नहीं चल रहा है। ठेकेदार ने दावा किया कि श्रमिक विशाखापत्तनम में ट्रेन से उतड़ गया था। दो दिन बाद वह काम पर मिल जाएगा यह सुनकर घर के लोग उसके कार्यस्थल पर दौड़ पड़े। वहां जाकर परिजनों ने वहां के सीसीटीवी फुटेज भी देखे लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। इसके बाद परिजनों ने ठेकेदार के खिलाफ स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज करायी। उनका आरोप है कि पुलिस ने उनकी गुहार नहीं सुनी इसलिए उन्होंने पुलिस अधीक्षक और यहां तक कि जिला अदालत में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन अभी तक घर का लड़का घर नहीं लौटा है।
ओल्ड मालदा नगर पालिका के वार्ड नंबर 15 के आदर्शपल्ली इलाके में हुई इस घटना को लेकर बवाल मच गया है। परिवार का दावा है कि इस घटना के पीछे लेबर सप्लाई करने वाले ठेकेदार का हाथ है। लापता प्रवासी मजदूर का नाम संजय मंडल (35) है। घर में पिता झनेश मंडल, मां मिनती मंडल, पत्नी राखी देवी के अलावा दो नाबालिग बेटियां हैं। मिनती मंडल ने पुलिस को बताया कि 7 नवंबर की सुबह पांच बजे के करीब इंगलिश बाजार के जदुपुर गबगाछी इलाके का रहने वाला मुस्तफा शेख उर्फ मामून उसके बेटे को घर से उठा ले गया। मामून बाहरी राज्यों में श्रमिकों की आपूर्ति करने वाला ठेकेदार है।
उसका लड़का बीमार था व जाने से कतरा रहा था। मामून उसे जबरन घर से निकालकर ले गया। इसके बाद से उन्हें अपने बेटे का कोई पता नहीं चल पाया है। उन्हें शक है कि मामून ने उनके बेटे को किसी गुप्त डेरे में रखा है। मिनती देवी ने कहा, ‘मुझे अपने बेटे का ढाई महीने से कोई पता नहीं चल पाया है।’ मामून ने कहा था कि वह विशाखापत्तनम में ट्रेन से उतर गया दो दिन बाद वह काम पर मिल जाएगा, हम वहाँ रहे सीसीटीवी फुटेज चेक किए लेकिन मुझे मेरा बेटा नहीं मिला। मिनती देवी ने कहा कि मुझे लगता है कि मामून ने लड़के को कहीं बंद कर दिया है मैंने उसके खिलाफ मालदा थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
बजट में छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए कोई योजना नहीं, मालदा के आम व्यापारी निराश
मालदा। विश्व प्रसिद्ध है मालदा के आम। मालदा के लक्ष्मणभोग, फजली आम सहित मालदा आम की विभिन्न प्रजातियां विश्व विख्यात है। लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार द्वारा अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश किए जाने से जिले के आम व्यापारियों को उम्मीद थी। लेकिन बजट पेश होने के बाद निराशा के सिवा कुछ भी नहीं मिला। लोकसभा चुनाव से पहले संसद में मोदी सरकार के आखिरी पूर्ण बजट में किसानों और व्यापारियों के विकास की बात की गई थी, लेकिन पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में आम का उत्पादन होने के बावजूद, पश्चिम बंगाल में मदर इंडस्ट्री बनाने की कोई योजना नहीं बनाई गई।
पश्चिम बंगाल में काफी मात्रा में आलू का उत्पादन होता है। इसे लेकर भी कोई योजना नहीं बनाई गई है। इसलिए इस साल के बजट में कई उम्मीदें थी लेकिन निराशा ही हाथ लगी है। मालदा मैंगो मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष उज्जल साहा ने कहा कि इस बजट में छोटे और मझोले कारोबारियों के लिए कोई योजना नहीं है। साथ ही ऐसे में औद्योगिक उद्यमियों को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया गया।