कुण्डलिया
जग में है इक क़ौम जो, करती “गन” की बात
स्वांग करे डर का जहाँ, होती “मन की बात”
होती मन की बात, जहाँ पर जन-गण-मन की
करने लगते माँग, वहाँ शरिया शासन की
शरिया मिलते ख़ून, सूखता है पर रग में
अपने छप्पन मुल्क़, छोड़कर भागें जग में
डीपी सिंह
कुण्डलिया
जग में है इक क़ौम जो, करती “गन” की बात
स्वांग करे डर का जहाँ, होती “मन की बात”
होती मन की बात, जहाँ पर जन-गण-मन की
करने लगते माँग, वहाँ शरिया शासन की
शरिया मिलते ख़ून, सूखता है पर रग में
अपने छप्पन मुल्क़, छोड़कर भागें जग में
डीपी सिंह