अपनी भाषा में लौटना अपने ‘चित्त’ में लौटना हैः डॉ. विजय बहादुर सिंह

कोलकाता। ‘अपनी भाषा’ संस्था का ‘जस्टिस शारदा चरण मित्र स्मृति भाषा सेतु सम्मान 2022’ अपने रचनात्मक अवदान एवं अनुवाद कार्य द्वारा हिन्दी व संताली के बीच सेतु निर्मित करने वाले विशिष्ट अनुवादक साहित्यकार श्री अशोक सिंह को प्रदान किया गया। यह समारोह महाबोधि सदन सभागार में संपन्न हुआ। समारोह के उत्सव- मूर्ति रहे श्री अशोक सिंह ने संताली भाषा के इतिहास और वर्तमान पर विशद चर्चा की। उन्होंने संताली के वाचिक परम्परा से लिखित स्वरूप तक आने के भाषाई संघर्ष को रेखांकित करते हुए उसकी व्यापकता में अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपनी बात रखी।

इस अवसर पर ‘भाषिक उदासीनता और हमारा समय’ विषय पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी भी आयोजित की गई। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ.विजय बहादुर सिंह ने कहा कि भाषा के मामले में समाज को पहले सचेत और आजाद होना होगा । केवल सरकार, राजनीति या बाजार को दोष न देकर भाषा की अस्मिता को बचाया जाना चाहिए। उन्होंने धर्मपाल की प्रसिद्ध पुस्तक भारतीय चित्त मानस और काल के हवाले से कहा कि अपनी भाषा में लौटने का सवाल अपने चित्त में लौटने से है।

प्रधान वक्ता के तौर पर डॉ. राकेश पांडेय ने कहा कि देश की सारी भाषाओं को संरक्षण मिलना चाहिए और उन्हें समृद्ध किया जाना चाहिए । हिंदी के लगातार सिमटते जाने के मूल में हमारी भाषिक उदासीनता ही जिम्मेवार है । विशिष्ट वक्ता डॉ. सुप्रकाश सरकार ने बांग्ला में अपनी बात रखते हुए कहा कि भाषा का समाजीकरण करना जरूरी है ताकि विभिन्न भाषा-भाषी एक दूसरे के और करीब आ सकें।

डॉ. इबरार खान ने भाषा और धर्म के घालमेल पर चिंता जताते हुए कहा कि भाषा को धर्म के साथ जोड़ना अनुचित है। संस्था के मुख्य संरक्षक व पुर्व अध्यक्ष प्रो. अमरनाथ ने कार्यक्रम में नई पीढ़ी की सार्थक सहभागिता को धन्यवाद देते हुए कहा कि आने वाला समय बड़ा खतरनाक है । हम सभी को एकजुट होकर भारतीय भाषाओं की उन्नति के लिए लगातार संघर्ष करना होगा। स्वागत भाषण रखते हुए संस्था के महासचिव डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी ने अपनी भाषा संस्था के अब तक के संघर्ष को रेखांकित किया।

सत्र का सफल संचालन डॉ. विक्रम साव ने किया। कार्यक्रम का समापन सुश्री लिली साह के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। कार्यक्रम की सफलता में संस्था के अध्यक्ष डॉ. अरुण होता की महती भूमिका रही। इस अवसर पर विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय से बहुत बड़ी संख्या में आए विद्वानों एवं विद्यार्थियों ने शिरकत की।

प्रस्तुतिः डॉ.बीरेन्द्र सिंह

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