डीपी सिंह की रचनाएं

खा के पैसे – ज़मीन, भूल गये
कर के वा’दे हसीन, भूल गये
देखा हमने जो हाल दिल्ली का
तब से करना यक़ीन भूल गये

डीपी सिंह

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