साहित्य में रुचि रखते हैं आज के युवा

सांचौर । मोबाइल व इंटरनेट के युग में किताबों के प्रति लोगों विशेषकर युवाओं का रुझान कम हो रहा है। किताबों की दुनिया जी हां किताबों की अपनी अलग ही दुनिया होती है। जिसने इसमें एक बार भी डुबकी लगा ली तो समझिए तर गया। जिंदगी को सही मार्ग में किताबों की भूमिका का महत्व सदियों से रहा है और आने वाली पीढ़ियों तक लगातार यह सिलसिला अनवरत जारी रहने वाला है। लेकिन सांचौर के कुछ युवा ऐसे भी है जिनका पुस्तकों से गहरा नाता हो गया हिंदी साहित्‍य में विशेष रूचि रखते हैं। युवा पीढ़ी पुराना हिंदी साहित्य, संस्कृत साहित्य व उर्दू ग़ज़लों की सभी किताबों में दिलचस्पी ले रही है।

युवा किताबें पढ़ने के साथ-साथ समीक्षा भी करते हैं। सांचौर के युवा साहित्यकार भारमल गर्ग, विलक्षण उपाध्याय के उपनाम से जाने जाते हैं। यह तीन विधाओं के जनक है विलक्षण नवगीत, विलक्षण सैवया, पंडित घनाक्षरी भारतीय साहित्य में तीनों छंद विधान अस्तित्व में आ चुके हैं। विलक्षण का किताबों के प्रति रुझान अधिक है। किताबी समीक्षा बताते है यह किसी को पुस्तक को पढ़ने या ना पढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

किसी किताब, कविता, लेख, कहानी पर अपनी प्रतिक्रिया देते है किताब पढ़ने में अच्छी या बुरी इसे पुस्तक समीक्षा में बताते है। विलक्षण मुख्य रूप से हिंदी साहित्य श्रृंगार रस को अधिक महत्व देते हैं। इनकी सभी कविताएं विशुद्ध भाषा में रची होती है। मात्र 22 वर्ष की उम्र में राजस्थान मधुमति वरिष्ठ शोधशाला से सम्मानित प्राप्त कर चुके हैं। विलक्षण हमेशा अपनी बात में कहते हैं कि एक भागीरथ ने पृथ्वी पर गंगा को लाया वैसे ही साहित्य क्षेत्र में अपने भाई भागीरथ गर्ग को अपना सारा श्रेय देते हैं। भागीरथ वर्तमान में राजस्थान पुलिस विभाग में सेवा दे रहे हैं साहित्य के प्रति अच्छा नॉलेज रखते हैं।

विलक्षण अपने मामा के बारे में बताते हैं कि मोती राम जी हमेशा उनको साहित्य की ओर प्रेरित करते रहते हैं। वर्तमान में किताबों की दुनिया समुद्र मंथन के समान है पढ़ना सब लोग चाहते हैं लेकिन पढ़ नहीं पाते क्योंकि युवाओं को मोबाइल से फुर्सत नहीं मिलती। विलक्षण की दो किताबें इस वर्ष के अंत तक बाज़ार में आ जायेगी यह किताबें नवीन लेखकों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

12 + four =