कोलकाता। पश्चिम बंगाल के पूर्व दिग्गज मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) शायद यह महसूस करते हुए कि सलाखों के पीछे के दिन कुछ समय वाले नहीं हैं और अनिश्चित काल के हो सकते हैं। ऐसे में वे जेल जीवन के साथ खुद को ढालने की कोशिश में जुट चुके हैं। करोड़ों रुपये के पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) भर्ती अनियमितताओं के घोटाले के आरोपी चटर्जी सलाखों के पीछे के जीवन से अभ्यस्त होने के अपने प्रयास में, आध्यात्मिक किताबें पढ़ रहे हैं। वहीं जेल के दिनों में अपने रोज के अनुभवों को नोट कर रहे हैं।
प्रेसीडेंसी केंद्रीय सुधार गृह के अधिकारियों ने श्री पराठा रामकृष्ण कथामृत की एक प्रति- रामकृष्ण परमहंस की बातचीत और गतिविधियों का एक संग्रह- प्रदान करने के उनके अनुरोध को मंजूरी दे दी है। चटर्जी के वकीलों में से एक सुकन्या भट्टाचार्य सोमवार को विजिटिंग आवर्स (कैदी से मिलने का समय) के दौरान सुधार गृह में आए और संग्रह की एक प्रति सौंपी, जिसे दुनिया भर में रामकृष्ण परमहंस के लाखों अनुयायियों ने मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए अंतिम आध्यात्मिक अमृत माना है।
इस बीच, चटर्जी की करीबी सहयोगी, अर्पिता मुखर्जी, जिन्हें अलीपुर महिला सुधार गृह में रखा गया है, को कथित तौर पर वहां अपने साथी कैदियों से अप्रत्याशित सहयोग मिल रहा है, जो उनके कपड़े धोकर उनकी परेशानी कम करने की कोशिश कर रहीं हैं। राज्य सुधार सेवा विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें जानबूझकर एक ऐसे सेल में रखा गया है, जहां उनके सबसे करीबी कैदी वे हैं, जो जेल के रिकॉर्ड के अनुसार अच्छे व्यवहार वाले हैं। वे उन्हें यथासंभव आरामदायक माहौल में रखने की कोशिश कर रहे हैं। चटर्जी और मुखर्जी दोनों को 18 अगस्त को पब्लिक मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की एक विशेष अदालत में पेश किया जाएगा।
एक बार उन्हें जेल अधिकारियों को यह कहते हुए सुना गया था कि उन्होंने ऐसे दिन नहीं देखे होते, अगर उन्होंने अपनी हाई-प्रोफाइल कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में प्रवेश नहीं किया होता। चटर्जी 2001 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे और तब वह एंड्रयू यूल समूह के महाप्रबंधक के रूप में अपनी नौकरी छोड़कर पूरी तरह से राजनीति में प्रवेश कर चुके थे। उनकी विशेषज्ञता मानव संसाधन विकास (ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट) थी।