काव्य महोत्सव एवं पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम सम्पन्न

वाराणसी । बाबा काशी विश्वनाथ की पावन भूमि पर पूर्णोदय साहित्यिक संस्थान, लहरपुर सीतापुर एवं कवि राजबहादुर यादव के संयोजन में आयोजित कवि सम्मेलन एवं पुस्तक लोकार्पण का सफल आयोजन श्री शिव शक्ति कम्प्लेक्स बीएचयू गेट लंका चौराहा, वाराणसी, उत्तर प्रदेश में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ कवयित्री गीता शर्मा की सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम में आमंत्रित सभी कवियों कवयित्रियों ने अपने शब्दों और छंदों के द्वारा माँ भारती के सपूतों क्रांतिकारियों और शहीदो को श्रद्धांजलि देकर उनके बलिदान को स्मरण किया तथा हास्य व्यंग्यात्मक और श्रृंगार रस से पगी रचनाओं को पढ़कर श्रोताओं का मनोरंजन किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. कैलाश शर्मा ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हास्य कवि स्व. भईया जी बनारसी के सुपुत्र कवि राजेन्द्र गुप्ता एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. पुष्पेंद्र अस्थाना पुष्प, समाजसेवी श्रीप्रकाश श्रीवास्तव गणेश, कवयित्री डॉ. मंजू जौहरी, कवि अजय कुमार पांडेय बेबस और कवयित्री सिद्ध नाथ शर्मा सिद्ध ने कवियों का उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम का सफल संचालन गाजीपुर के कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने किया। पूर्णोदय साहित्यिक संस्थान की अध्यक्ष कवयित्री पूनम देवी राज ने ‘ले रही सिसकियां आज माँ भारती’ रचना सुनाई। कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने बाप की आंखों से आंसू बह गया सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।

डॉ. सुभाष चन्द्र ने ‘कहां गयी हरियाली, कहाँ गयी पेड़ो की डाली’ रचना सुनाकर प्रकृति की स्थिति पर प्रकाश डाला। दिल्ली से पधारी कवयित्री गीता शर्मा ने ‘मेरे हंस रहे हैं घाव जवाब दीजिए सुनाया, कवयित्री सुनीता जौहरी उज्जैन ने ‘ये भोले की नगरिया जरा धीरे चलो’ सुनाकर सदन को भक्तिमय कर दिया। वक़्त के साज पर जिसने गीत गाया नही सुनाकर कवयित्री मंजू जौहरी ने खूब तालियां बटोरीं। कवि अजय जौहरी ने बनते फिरते यार बेमतलब सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर किया। लिए कर कंज में वीणा मधुर स्वर में सुना दो माँ सुनाकर कवयित्री लक्ष्मी वर्मा ने माँ शारदे का गुणगान किया। पक्षी सम उड़ते अक्षरों को चोंच के दाने रिझाती हूँ कवयित्री पुष्पा सिंह ने सुनाया।

कवयित्री ममता वर्मा ने एक बार काशी में आकर देखो भाग्य खुल जायेगा सुनाया। बिहार से पधारे एम.एस. हुसैन कैमूरी ने हम उस देश के वासी हैं जिस देश मे गंगा रचना सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। प्रो. शीला बंडी धारगलकर ने आकाश के विस्तार को समेटे हुए तुम्हारी आंखें सुनाकर सभी को मंत्र मुग्ध किया। सीहोर से आये डॉ. कैलाश शर्मा ने डरते रहे इन आँखों को देखकर जालिम सुनाकर श्रोताओं के दिल जीत लिया। डॉ. प्रशांत जामलिया ने चाहे कलम चले या तलवार चले ये बचाना होगा सुनाया। मुंबई से डॉ. अनिल चतुर्वेदी ने गुरुदेव मेरे मन मंदिर में ज्ञान की ज्योति जला देना सुनाया।

बिहार से आये शायर मो. मुमताज़ हसन ने कुछ यूं कहा – कहीं मजहब, कहीं गीता, कहीं कुरान पर चर्चा सुनाकर श्रोताओं के दिल जीत लिया। मुम्बई की कवयित्री कुसुम तिवारी झल्ली ने दुअरे पर आइल बारात है बबुनी सुनाकर मन मोह लिया। कानपुर की कवयित्री डॉ. अन्नपूर्णा वाजपेयी ने जिओ भरपूर जीवन को सुनाकर जीवन की सार्थकता बताई। गुमला झारखंड से पधारे कवि अजय कुमार बेबस ने कुछ यूं सुनाया आज की इस दुनिया मे बहुत सियासत है तथा पूर्णोदय साहित्यिक संस्थान के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेहतरीन शायर राज कलानवी ने कुछ यूं कहा – कुछ फूल किताबो में यूँ ही जिंदा हैं।

कार्यक्रम में आये अन्य तमाम सिद्धनाथ सिद्ध जय श्रीकांत तिवारी, कवि नाज़िम नदीम, कविराज सिद्धार्थ, हरिहर सुमन,अमित पंडित, सुनीता राठौर, मणिबेन द्विवेदी, संगीता नाग, सद्दाम हुसैन, मोहनियावी, डॉ. प्रेमलता सिंह, कुसुम सिंह अविचल, अमर सिंह निधि, हरजीत सिंह मेहरा एवं प्रो. एल.एस. तोमर आदि कवि उपस्थित रहे। भिलाई के कवि शिवमंगल सिंह की पुस्तक ‘उस दिन’ और एक साझा संग्रह ‘मेरी कलम’ का लोकार्पण हुआ। तथा कार्यक्रम का समापन कवि डॉ. कैलाश शर्मा में किया।

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