व्यंग : अमिताभ अमित की कलम से – दोस्ती का दिन

सुना है आज दोस्ती का दिन है!
पर जैसा कि आप सब जानते हैं हम हिंदुस्तानी किसी की भी नक़ल करने मे, किसी दूसरे की कहा सुनी या किये-धरे मे अपनी तरफ़ से कुछ और जोड़कर, उसे और बेहतरीन बना लेने मे होशियार हैं! इसी हुनर के चलते हम होनहार हिंदुस्तानियों ने अंग्रेजों के इस डबलरोटी से बेस्वाद दोस्ती दिवस को चटपटी भेल में बदलकर ज़ायक़ेदार बना दिया है!

हम इसे प्रेम दिवस की तरह ही मनाते है, हम इसके साथ और कुछ कर भी नही सकते थे! दरअसल हम इतने प्रेम भरे लोग है कि जब भी मौका मिलता है इसे कर बैठते है! हक़ीक़त तो यह है कि हम जब और कुछ नही कर पाते तो प्रेम करने लगते है! आमतौर पर हम हर त्यौहार के साथ ऐसे भी पेश आते हैं, होली, दिवाली, नवरात्रि यहाँ तक की ईद के साथ भी हम ऐसा ही बर्ताव करते है तो ये अंग्रेज़ों का बताया दोस्ती का दिन हमसे कैसे बच सकता है?

हम उन लोगो मे से नही है जो दोस्तो से प्रेम ना कर सकें! हम वो है जो प्रेम करने के लिये ही दोस्ती करते हैं और यदि आप अभी तक ऐसा नही कर पाये है तो बिना कोई ख़तरा मोल लिये आप आज जिससे भी चाहे निसंकोच प्रेम कर सकते हैं! इसलिये दोस्ती-वोस्ती जैसी मामूली सोच से उपर उठिए और अपने अभियान पर निकल पड़िए! यह कुछ ख़ास कठिन है भी नही, प्रेम सुलभता के सिद्धान्त पर काम करता है! इसे ध्यान मे रखते हुए आपको अड़ोस-पड़ोस मे जो भी मिले! जो भी पहले सामने दिख जाए, उसकी कलाई मे एक इलास्टिक बैंड पहनाना होता है! किसी की ऊँगली या कलाई पकड़ने का यह बिना रिस्क का मौक़ा! सामने वाला या सामने वाली यदि आपको गलती से भी तवज्जो दे बैठै तो आप की पौ बारह! यदि आपको इसमे बचपना लगे या आप पैसे ख़र्च करने के मूड मे नही है तो फ़ेसबुक और व्हाट्सअप तो हैं ही! यहाँ आप बिना दमड़ी ख़र्च किये, जी भर के फ्रैंडशिप मैसैज, कार्ड चैंप सकते है! ये गतिविधियाँ भी आगे चलकर आपकी ज़िंदगी को सुहाना सफ़र में तब्दील कर सकती हैं!!

बहरहाल आपको अग्रेंजो का बताया यह दोस्ती दिवस मुबारक हो, अजमा लें मेरे बतायें टोटके!
और हाँ कल यह ज़रूर बताएँ कि आप पर क्या बीती?

amitabh amit
अमिताभ अमित : व्यंगकार

अमिताभ अमित – mango people

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