निसि दिन माया-योग से, लगते नाना रोग
वहीं रोग के भोग से, मुक्त कराता योग
मुक्त कराता योग, दवा से टूटे नाता
काया स्वस्थ निरोग, शान्ति मन की नर पाता
कह डीपी कविराय, लाभ पाये जा गिन-गिन
कर इक घण्टे योग, और रह ताज़ा निसि दिन
डीपी सिंह
निसि दिन माया-योग से, लगते नाना रोग
वहीं रोग के भोग से, मुक्त कराता योग
मुक्त कराता योग, दवा से टूटे नाता
काया स्वस्थ निरोग, शान्ति मन की नर पाता
कह डीपी कविराय, लाभ पाये जा गिन-गिन
कर इक घण्टे योग, और रह ताज़ा निसि दिन
डीपी सिंह