हम तो जनसंख्या अपनी घटाते रहे
और वो लश्कर पॅ लश्कर बनाते रहे
धूर्त सत्ता हमें वरग़लाती रही
हम भी ‘हम दो हमारे दो गाते रहे
डीपी सिंह
हम तो जनसंख्या अपनी घटाते रहे
और वो लश्कर पॅ लश्कर बनाते रहे
धूर्त सत्ता हमें वरग़लाती रही
हम भी ‘हम दो हमारे दो गाते रहे
डीपी सिंह