धर्म-निरपेक्षता के सिरे पर खड़े
कैसे ज़िद पर अड़े हैं ये चिकने घड़े
मालिकी की है कुछ को ख़ुमारी अभी
और हम हैं अभी नींद में ही पड़े
डीपी सिंह
धर्म-निरपेक्षता के सिरे पर खड़े
कैसे ज़िद पर अड़े हैं ये चिकने घड़े
मालिकी की है कुछ को ख़ुमारी अभी
और हम हैं अभी नींद में ही पड़े
डीपी सिंह