“अबकी बारिश”
ये आसमाँ में उमड़ कर
जमी पर बिखर जाते हैं
ये बारिश है जनाब
जमी पे पड़ते ही खुशबू
सी महक जाते हैं,
कभी किसी के दूंखो का
हिस्सा बन जाते हैं,
तो कभी उनकी खुशियों
में भी इठलाते हैं,
ये बारिश है जनाब
जमी पर पड़ते ही खुशबू
सी महक जाते हैं,
कभी उन फसलों की
आस बन जाते हैं,
तो कभी तपती धूप में याद आते हैं
ये बारिश है जनाब
जमी पर पड़ते ही
खुशबू सी महक जाते हैं
तो कभी उन आंखो की
प्यास बन जाते हैं,
जो आसमाँ को देख
तेरी आस लगते हैं,
ये बारिश है जनाब
जमी पर पड़ते ही खुशबू
सी महक जाते हैं।
-रिया सिंह ✍🏻
स्नातक, तृतीय वर्ष, (हिंदी ऑनर्स)
टीएचके जैन कॉलेज