नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उद्योगपति रतन टाटा को भारत रत्न देने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से गुरुवार को इनकार कर दिया।याचिकाकर्ता की मांग पर नाराज़गी जताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति विपिन चावला की खंडपीठ ने सवाल किया , “क्या अदालत का यह काम है कि वह सरकार को किसी व्यक्ति को भारत रत्न पुरस्कार देने का निर्देश दे? यह किस तरह की याचिका है?” खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि अगर वह याचिका वापस नहीं लेता है तो अदालत उससे लागत वसूल करेगा।
यह सुनने के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से याचिका वापस लेने का अनुरोध किया। याचिका में अदालत के समक्ष तर्क दिया गया था कि रतन टाटा का जीवन बेदाग है और वह भारत रत्न से सम्मानित होने के योग्य हैं क्योंकि वह राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं। वकील ने कहा कि श्री रतन टाटा ने एक अनुकरणीय जीवन व्यतीत किया है, दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित किया है और एक उत्कृष्ट नेता साबित हुए हैं। उन्होंने याचिका में कहा कि केंद्र सरकार को उद्योगपति रतन टाटा को भारत रत्न देने का निर्देश दिया जाना चाहिए।