।।पुरस्कार।।
राम पुकार शर्मा
मानवता की सेवा के लिए कोई विशेष डिग्री या सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं होती है, परन्तु नियम के रखवाले इस मानवता को भी डिग्री या सर्टिफिकेट की सीमा में बाँध कर उसे सीमित कर दिए हैं। शायद इसीलिए एक नर्स, जो अपनी जान पर खेलकर मरीज़ों का सफल ऑपरेशन कर उन्हें अमूल्य जीवन प्रदान की, लेकिन उसे भी डिग्री या सर्टिफिकेट जैसी संकीर्णता की परिधि में बांधते हुए उसे उसकी सेवा से बर्खाश्त कर दिया जाता है। मानवताजन्य इस अमूल्य सेवा का यह कैसा पुरस्कार है? इसी प्रश्न को इस लघु नाटिका “पुरस्कार” द्वारा उठाया गया है।
पात्र परिचय :
नर्स पायली : 30 वर्षीय, सुंदर स्त्री।
डॉक्टर : 50 वर्षीय शांत और गंभीर व्यक्तित्व।
वार्ड सिस्टर 1 : 25 वर्षीय युवती।
वार्ड सिस्टर 2 : 25 वर्षीय युवती।
वृद्धा मरीज़ : 70 वर्षीय, दुर्बल, खाँसी से पीड़ित।
सचिन : 12 वर्षीय हँसमुख बालक।
रिसेप्शनिस्ट : 25 वर्षीय सुंदर युवती।
श्याम : 30 वर्षीय सैनिक।
इक़बाल : 30 वर्षीय घायल सैनिक।
योगेन्द्र प्रताप : 50 वर्षीय नगर अधिपति।
राघवेन्द्र : 50 वर्षीय, जनप्रतिनिधि।
उद्घोषक : योग्य और शिक्षित।
बुद्धिराम सिंह राणा : चिकित्सक अधिकारी, अति गंभीर।
(एक अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर का दृश्य। एक मरीज़ ऑपरेशन बेड पर पड़ा हुआ है। उसके इर्द-गिर्द ऑपरेशन से संबंधित बहुत-सी वस्तुएँ तथा मशीनें हैं, जिनमें कई प्रकार की बतियाँ जलती हुई कुछ सिग्नल दे रही हैं। एक नर्स ‘पायली’ उस मरीज़ का ऑपरेशन कर रही है। पास में ही खड़ा एक डॉक्टर उसकी निगरानी कर रहा है। दो अन्य नर्सें आवश्यकतानुसार ऑपरेशन सम्बंधित यंत्र दे रही हैं। डाक्टर तथा नर्सों के चेहरे हरे कपड़ों से ढके हुए हैं और उनके हाथों में ग्लव्स हैं। कुछ समय के बाद ही पायली अपने चहरे पर से हरे रंग के कपड़े को हटाती है, फिर बाकी के लोग भी अपने-अपने चहरे से कपड़े तथा अपने हाथों से ग्लव्स हटाते हैं)
पायली : सर। ऑपरेशन सक्सेसफुल हुआ।
डॉक्टर : कोंग्रेचुलेशन सिस्टर पायली। आपने इस मरीज़ का सफलता पूर्वक ऑपरेशन किया। अभी थोड़ी ही देर में इस मरीज़ को होश आ जायेगा। बधाई हो आपको।
पायली : थैंक यू सर। आपकी निगरानी में मेरा यह ऑपरेशन भी सफल हुआ।
वार्ड सिस्टर : कोंग्रेचुलेशन! सिस्टर पायली!
पायली : तुम सभी को भी बधाई। तुम सब के सहयोग से ही मेरा यह 24वाँ ऑपरेशन सफल हुआ।
डॉक्टर : सिस्टर्स! इस मरीज़ को अब आप लोग ‘स्पेशल केयर यूनिट’ में ले जाएँ। यह मरीज़ पूरी तरह से स्वस्थ है।
वार्ड सिस्टर : ओके सर।
(दोनों नर्सें उस मरीज़ को व्हीलचेयर पर बैठा कर प्रस्थान करती हैं)
डॉक्टर : सिस्टर पायली! अब तो आपको डॉक्टर की डिग्री ले ही लेनी चाहिए। आपने तो कई ऑपरेशन ऐसे भी किये हैं, जो बहुत ही मुश्किल थे। लेकिन आपने बड़ी ही सरलता से उनका ऑपरेशन कर दिया। ऑपरेशन के मामले में आप पूर्ण अनुभवी हो गयी हैं।
पायली : सर! यह सब आपके दिशा-निर्देशन से ही सम्भव हो पाया। अतः धन्यवाद के पात्र तो आप ही हैं।
डॉक्टर : यह तो आपकी लगन और मेहनत का फल है। वरना कई डाक्टर तो वर्षों प्रैक्टिस करने के बाद भी ऑपरेशन करने से हिचकते हैं। अच्छा चलिए। उस मरीज़ को एक बार और देखता ही चलूँ।
पायली : ठीक है, सर, चलिए।
(दोनों का प्रस्थान)
(डाक्टर का प्रस्थान। नर्स पायली वहीँ पर रह जाती है। एक हाथ पर तथा सर पर पट्टियाँ बंधी हुई एक बच्चा मरीज़ का प्रवेश)
सचिन : नमस्कार सिस्टर।
पायली : नमस्कार सचिन। कहो कैसे हो अब? दर्द तो कम गयी है न?
मरीज़ : जी सिस्टर।
पायली : लेकिन तुम अपने हाथ को इस तरह से मत लटकाए रखो। थोड़ा-सा यों उठा कर। हाँ, अब ठीक है। ठीक समय पर दवाइयाँ लिया करना।
मरीज़ : ठीक है, सिस्टर। अब जाता हूँ।
पायली : ठीक है। लेकिन दो दिनों के बाद एक बार आकर दिखा जाना।
मरीज़ : अच्छा सिस्टर।
(मरीज़ का प्रस्थान। एक अन्य वृद्धा मरीज़ का प्रवेश। आते-आते हाँफने लगती है और खाँसने लगती है। नर्स पायली उसे सहारा देती है)
पायली : माँ जी! आप यहाँ इस कुर्सी पर बैठिए और यह लीजिए पानी पीजिए।
वृद्धा मरीज़ : (पानी पी कर) जुग जुग जीयो बेटी। मुझसे चला नहीं जा रहा है, बेटी! डॉक्टर साहब से मिलने आई हूँ।
पायली : माँ जी! आप को क्या तकलीफ है?
वृद्धा मरीज़ : बेटी! क्या-क्या तकलीफ बताऊँ? मेरी कमर में दर्द रहता है। साँसें फूल जाती है। हमेशा सिर में चक्कर रहता है।
पायली : लेकिन माँ जी, डॉक्टर साहब तो अभी चले गए। वे अब कल शाम को आयेंगे।
वृद्धा मरीज़ : बेटी! मैं बड़ी दूर से आई हूँ। अब मैं क्या करूँ?
पायली : तब तक के लिए मैं कुछ दवाइयाँ दे रही हूँ। इससे आपको कुछ आराम रहेगा। फिर कल आकर डाक्टर साहब से मिल लीजियेगा।
वृद्धा मरीज़ : अच्छा बेटी।
पायली : माँ जी! आप यहीं बैठिए। मैं अभी दवाइयाँ लेकर आती हूँ।
(पायली का प्रस्थान)
वृद्धा मरीज़ : हे ईश्वर! ऐसी बेटी सभी को नसीब हो।
(पयाली का प्रवेश)
पायली : लीजिए, माँ जी! इस दवाई को अभी जा कर गर्म पानी के साथ खा लीजिएगा और कल शाम को आकर डॉक्टर साहब को दिखा लीजिएगा।
वृद्धा मरीज़ : बहुत अच्छा बेटी। तुम्हारी हमदर्दी को पाकर मेरा दुःख-दर्द ही दूर हो गया बेटी। जुग जुग जीयो बेटी! जुग जुग जीयो!
(पायली उसे सहारा देती हुई प्रस्थान करती है)
(दृश्य परिवर्तन। अस्पताल का रिसेप्शन हॉल। एक टेबल पर कुछ कागज़ात के साथ एक रिसेप्शनिस्ट बैठी हुई कुछ कागज़ी कार्य कर रही है। बाहर खूब ज़ोरों की वर्षा हो रही है। बीच-बीच में बिजली की ज़ोरदार चमक और तेज गड़गड़ाहट। नेपथ्य में एम्बुलेंस का सायरन सुनाई देता है, जो क्रमश: तेज होती ही जाती है। सैनिक की वेशभूषा में दो व्यक्ति एक घायल सैनिक के साथ प्रवेश करते हैं)
सैनिक (श्याम) : इट्ज़ एन इमरजेंसी।
सैनिक (इक़बाल) : प्लीज, काल द डॉक्टर।
रिसेप्शनिस्ट : क्या बात है? अभी तो कोई डॉक्टर नहीं है।
श्याम : प्लीज सिस्टर! डॉक्टर को तुरंत ही बुलाइए। नगर के चौक पर एक आतंकवादी हमला हो गया है, उसमें कई लोग मारे गए हैं। इसी हमले में हमारा यह साथी भी घायल हो गया है।
रिसेप्शनिस्ट : ठीक है मैं अभी डॉक्टर से कांटेक्ट करती हूँ (फोन मिला कर) हैलो?….. हैलो?…. डॉक्टर शर्मा? यस। मैं बी.के. मेमोरियल हॉस्पिटल से बात कर रही हूँ।….. हाँ। अभी एक इमरजेंसी पेशेंट हॉस्पिटल में आया है। इसका ऑपरेशन करना बहुत ही जरुरी है। प्लीज़ आ जाइए।….. क्या? नहीं आ सकते?….. चारों ओर पानी लगा हुआ है….. सभी रास्तें बंद हैं? फिर क्या किया जाए, सर?… सर आप एक बार कोशिश तो कीजिए।….. नॉट पॉसिबल? ….. ओके सर।
इक़बाल : डॉक्टर ने क्या कहा?
रिसेप्शनिस्ट : सॉरी सर! इस भीषण वर्षा के कारण सभी रास्तें बंद हैं। कई जगह तो पानी में डूबे हुए हैं। डॉक्टर किसी भी हालत में नहीं आ सकते हैं। इस इमरजेंसी केस को हैंडल करने के लिए अस्पताल में अभी कोई जिम्मेवार डॉक्टर नहीं है। प्लीज़ किसी दूसरे अस्पताल में ले जाइये।
श्याम : इसकी हालत खराब हो रही है, कहीं और ले जाने लायक यह नहीं है। इसके ऑपरेशन की कुछ तो व्यवस्था कीजिए। उस डॉक्टर के अतिरिक्त और कोई हो जो ओपरेशन कर सके उसी को बुलाइए।
रिसेप्शनिस्ट : एक सिस्टर तो इनका ऑपरेशन ठीक से कर सकती है, लेकिन वह तैयार होंगी कि नहीं, पता नहीं।
इक़बाल : ठीक है आप उन्हें बुलाइए। उनसे हम बात करेंगे।
रिसेप्शनिस्ट : (फोन पर) हेलो स्पेशल केयर यूनिट? सिस्टर पायली जी को जरा रिसेप्शन रूम में भेजो। (फोन रखकर) सिस्टर अभी आती हैं।
(सिस्टर पायली का प्रवेश)
पायली : कहिए क्या बात है?
रिसेप्शनिस्ट : सिस्टर! ये लोग भारतीय सेना से सबंधित हैं। ये लोग आपसे कुछ कहना चाहते हैं।
पायली : जी, कहिए क्या बात है?
श्याम : सिस्टर! नगर के चौराहे पर एक आतंकवादी हमला हुआ है और उसमें हमारा यह साथी घायल हो गया है। उसका तुरंत ही ऑपरेशन करना बहुत जरुरी है। इसीलिए हम उसे यहाँ लेते आये हैं।
पायली : लेकिन, मैं क्या कर सकती हूँ? ऑपरेशन तो कोई सर्जन ही कर सकते हैं। आप किसी सर्जन से संपर्क कीजिए।
इक़बाल : सिस्टर! देखिए कोई डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं। जबकि इसका तुरंत ही ऑपरेशन करना बहुत ही जरुरी है, कृपया आप हमारी मदद कीजिए।
पायली : इस समय मैं आपकी कोई भी मदद नहीं कर सकती। मुझे ऑपरेशन करने की इजाज़त नहीं है।
श्याम : सिस्टर! ऐसा न कहिए, देखिए हम लोग तो अपनी जान को आम जनता और देश के लिए कुर्बान करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, तो क्या आप हमारे साथी की जान की रक्षा के लिए एक ऑपरेशन नहीं कर सकती हैं? प्लीज़ इंकार मत कीजिए।
पायली : मैं आपको कैसे बताऊँ कि मुझे ऑपरेशन करने की इजाज़त नहीं है।
श्याम : सिस्टर! तो क्या आप अपनी आँखों के सामने मेरे साथी को तड़प-तड़प के मरते देख सकेंगी? प्लीज सिस्टर! इसका ऑपरेशन कर न केवल इसकी, बल्कि आप भारतीय सेना की तथा अपने देश की सेवा भी करेंगी।
इक़बाल : प्लीज सिस्टर! देर मत कीजिए। हर एक सेकेण्ड ही यह मौत के करीब पहुँच रहा है, प्लीज़ इसे बचा लीजिए।
पायली : (स्वगत) मैं तो बड़ी ही दुविधा में पड़ गयी हूँ। ऑपरेशन न करती हूँ, तो इस मरीज़ की जान चली जाती है और डॉक्टर की अनुपस्थिति में ऑपरेशन करती हूँ तो वह गैर-क़ानूनी होती है, तो मैं क्या करूँ?
रिसेप्शनिस्ट : सिस्टर! आप बहुत ही अच्छे ढंग से इस मरीज़ का ऑपरेशन कर सकती हैं।
श्याम : फिर किसी की जान को बचाना तो गलत कार्य नहीं हो सकता है। आप देर मत कीजिए प्लीज़।
पायली : ठीक है। मैं रिस्क लेती हूँ, लेकिन आगे कुछ भी हो सकता है। इसके लिए आप लोग भी तैयार ही रहेंगे।
दोनों : ठीक है, सिस्टर! आप कोशिश तो कीजिए बाकी इसका भाग्य!
पायली : (रिसेप्शनिस्ट से) मिस कोयल! आप इन लोगों से ऑपरेशन हेतु फॉर्म भर्ती करवा लीजिए और पेशेंट को ऑपरेशन थियेटर में तुरंत भेजिए। मैं ऑपरेशन की बाकी तैयारी करती हूँ।
रिसेप्शनिस्ट : ओ.के. सिस्टर! (वार्ड सिस्टर को बुलाती हुई) वार्ड सिस्टर्स! इधर आइए।
(पायली का प्रस्थान। दो वार्ड सिस्टर्स का प्रवेश)
रिसेप्शनिस्ट : सिस्टर्स ! इस पेशेंट को ऑपरेशन थियेटर में जल्दी ले जाइए। (दोनों वार्ड सिस्टर्स पेशेंट को व्हीलचेयर पर लेकर प्रस्थान करते हैं। श्याम तथा इक़बाल से) आप लोग इस फॉर्म को भर्ती कर के दीजिए।
(श्याम और इक़बाल फॉर्म को लेकर भर्ती करके उसे रिसेप्शनिस्ट को देते हैं)
रिसेप्शनिस्ट : ठीक है। आप लोग यहीं इंतजार कीजिए।
(रिसेप्शनिस्ट कागज सम्बंधित अन्य कार्य में व्यस्त है, श्याम और इक़बाल काफी बेचैनी में टहलते हैं। थोड़ी ही देर में सिस्टर पायली अपने गले में ऑपरेशन हेतु मुख-बंद कपड़ा लटकाए हुए और अपने हाथों से रक्त से सने हैण्ड-ग्लव्स निकालते हुए प्रवेश करती है)
पायली : यह ऑपरेशन काफी कठिन और रिस्क भरा था, लेकिन ऑपरेशन सक्सेसफूल हुआ। थैंक गॉड!
दोनों : थैंक्स सिस्टर! थैंक्स! आप तो हमारे लिए देवी बन कर आयीं। आप की इस सेवा को सारा राष्ट्र ही नमन करता है। राष्ट्र को आप पर गर्व रहेगा।
पायली : मैं ऐसी कुछ भी नहीं हूँ और न मैनें ऐसा कोई कार्य ही किया है। मैनें केवल अपने कर्तव्यों का पालन ही किया है। पेशेंट को होश आ गया है। आप लोग उससे मिल सकते हैं। लेकिन उससे आप लोग ज्यादा बातें नहीं करेंगे।
दोनों : जैसी आपकी आज्ञा सिस्टर! बहुत-बहुत धन्यवाद सिस्टर।
(दोनों का प्रस्थान। मंच पर धीरे-धीरे प्रकाश कम हो जाता है।
(दृश्य परिवर्तन)
नेपथ्य से : और कुछ दिन बाद…
(मंच पर तीन कुर्सियाँ लगी हुई हैं। पास में उद्घोषणा हेतु डैस और उस पर एक माइक लगा हुआ है। कुर्सियों पर क्रम से नगर अधिपति योगेन्द्र प्रताप, जन प्रतिनिधि नेता राघवेन्द्र, चीफ मेडिकल ऑफिसर श्री बुद्धिराम सिंह राणा तथा नर्स पायली बैठे हैं। उद्घोषक माइक से उद्घोषणा करता है)
उद्घोषक: बी.के. मेमोरियल हॉस्पिटल के इस सुसज्जित प्रांगण में आप समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए मुझे अपार हर्ष हो रहा है। आप सभी को यह जान कर अति प्रसन्नता होगी कि हमारे इस हॉस्पिटल की अति अनुभवी तथा योग्य नर्स मिस पायली जी ने एक घायल सैनिक का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर जहाँ अपने देश के प्रति सेवा भाव को प्रदर्शित किया है, वहीँ उन्होंने इस हॉस्पिटल का नाम भी रोशन किया है। उनके सम्मान में आज की यह सभा आयोजित की गयी है। अब मैं नगर अधिपति श्रीमान योगेन्द्र प्रताप जी को नर्स पायली जी के सम्मान में दो शब्द व्यक्त करने के लिए आमंत्रित करता हूँ। श्री योगेन्द्र प्रताप जी।
योगेन्द्र प्रताप : (माइक पर आकर) नर्स मिस पायली जी ने जिस अद्भुत क्षमता का परिचय देकर मरीज की जान बचाई है, वह अपने आप में अद्भुत है। मैं अपने नगर वासियों की ओर से उनका अभिनंदन इस प्रशस्ति-पत्र को प्रदान कर करता हूँ।
(एक प्रशस्ति-पत्र देते हैं । पायली उसे ससम्मान स्वीकार करती है)
पायली : धन्यवाद सर!
(योगेन्द्र प्रताप अपनी सीट पर जा बैठते हैं)
उद्घोषक : अब नर्स मिस पायली जी को सम्मानित करने के लिए इस क्षेत्र के मंत्री श्री राघवेन्द्र जी को मैं आमंत्रित करता हूँ। श्रीमान राघवेन्द्र जी।
राघवेन्द्र : नर्स मिस पायली जी पर मैं गर्व महसूस करता हूँ। उन्होंने मानवता का जो परिचय दिया, वह सचमुच तारीफ-ए-काबिल है। मैं उन्हें अपने मंत्री कोटा से 50,000 रूपये की धनराशि प्रदान कर उनका सम्मान करता हूँ।
(राघवेन्द्र एक लिफाफे प्रदान करते हैं)
पायली: धन्यवाद सर!
उद्घोषक : अब मैं नर्स मिस पायली जी को अपनी अनुभूति व्यक्त करने के लिए आमंत्रित करता हूँ। मिस पायली जी।
पायली : (माइक पर) मुझे पता नहीं कि मैंने ऐसा कौन-सा विचित्र कार्य किया है कि मुझे पुरस्कृत किया जा रहा है। मैंने तो केवल मात्र अपने कर्तव्यों का निर्वाह ही किया है, जैसे कि अन्य सभी लोग करते हैं। मैंने किसी पुरस्कार की प्राप्ति के लिए प्रेरित होकर कोई काम न किया और न भविष्य की ही कोई परवाह करके ही कोई काम किया है। परन्तु आप लोगों द्वारा सम्मान प्राप्त कर मुझे प्रतीत होता है कि मेरे द्वारा किये गए कार्य सठीक रहे हैं। ईश्वर से मैं यही प्रार्थना करती हूँ कि मानवता की सेवा के लिए वे मुझे सर्वदा शक्ति प्रदान करें। धन्यवाद।
(अपनी सीट पर जा बैठती है)
उद्घोषक : और अब कार्यक्रम के अंत में मैं इस राज्य के चीफ मेडिकल आफिसर श्री बुद्धिराम सिंह राणा जी से माया- ममता तथा सेवा की देवी नर्स मिस पायली जी को सम्मानित करने के लिए आमंत्रित करता हूँ । श्री बुद्धिराम सिंह राणा जी!
बुद्धिराम : (माइक पर) मुझे यह जानकर अपार हर्ष हो रहा है कि नर्स मिस पायली जी ने कठिन परिश्रम करके तथा अपने कैरियर की परवाह न कर ऑपरेशन करने की अपनी अद्भुत क्षमता का परिचय देकर इमरजेंसी परिस्थिति में मरीजों की जान बचते हुए चिकित्सा जैसे सम्मानित कार्य के प्रति लोगों में विश्वास जगाई है। इसके लिए मैं उन्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। लेकिन चिकित्सा के भी कुछ कायदे-कानून और वसूल होते हैं। उनके अनुसार नर्स मिस पायली जी अपनी क्षमता और योग्यता की परिधि को भूल गईं और डॉक्टर तथा सर्जन के कार्य ऑपरेशन को कर इन्होंने चिकित्सा-जगत को कलंकित करने का अपराध किया है अतः इन्हें अस्पताल सम्बंधित नर्स की सेवा से तत्काल टर्मिनेट किया जाता है, ताकि भविष्य में कोई भी सेवक अपनी कार्य परिधि को न भूले, धन्यवाद!
(बुद्धिराम सिंह राणा नर्स पायली को टर्मिनेशन लेटर देतें हैं। पायली सहित मंच पर आसीन सभी लोग आश्चर्य चकित हो जाते हैं)
राघवेन्द्र : बुद्धिराम सिंह राणा जी! आप ने यह क्या किया? किसी की जान बचाना भला कौन-सा अपराध है ? किसी की जान बचने वाला तो सर्वदा महान होता है।
योगेन्द्र : श्री बुद्धिराम सिंह राणा जी, आपका यह कार्य अनैतिक है। इसे किसी भी तरह से स्वीकार नहीं किया जा सकता है। आपको अपने इस आदेश को वापस लेना ही होगा। अन्यथा नगर में उपद्रव मच जायेगा।
बुद्धिराम : मेरा यह आदेश पूर्णतः न्याय संगत है। डाक्टरी पेशा तथा चिकित्सा सम्बंधित कानून की आप भी अवमानना नहीं कर सकते हैं। हर व्यक्ति तथा हर कार्य की अपनी-अपनी सीमा-रेखा होती है। उस सीमा-रेखा के टूटने या मिटने से सर्वत्र अराजकता फ़ैल जाएगी। अतः मेरा निर्णय पूर्णतः सठीक तथा न्यायोचित है। आप सभी को धन्यवाद!
(प्रस्थान)
(मंच पर सभी काना-फूसी करते हैं । मंच पर प्रकाश धीरे-धीरे मंद होता जाता है।)
(पूर्ण/समाप्त)
श्रीराम पुकार शर्मा
हावड़ा – 1 (पश्चिम बंगाल)
ई-मेल सम्पर्क सूत्र – rampukar17@gmail।com