हिन्दी गीत –
।।अपना वतन चाहिए।।
श्याम कुँवर भारती
न शोहरत न दौलत मुझे अपना वतन चाहिए।
फलता फूलता और मुझे खिलता चमन चाहिए।
न हो दुश्मन कोई न हो अड़चन कोई।
मर सकूँ मै वास्ते वतन तिरंगा कफन चाहिए।
खून शहीदो सींचकर हरा किया गुलशन।
शहीद होने न दे भारत ऐसा नव रतन चाहिए।
अपनी धरती की मिट्टी माथे लगायेंगे हम।
सह सके वार दुश्मन फ़ौलादी बदन चाहिए।
न हो पतझड़ कभी और बहारे मुस्कुराए सदा।
हरी धरती मे बहती गंगा बाँकपन चाहिए।
बढ़े भाईचारा यंहा लोग सारे मिलके रहे।
देश तेरा न मेरा सबका ऐसा मन चाहीए।
न हिन्दू, मुस्लिम कोई सब बनके भाई रहे।
न हो दंगा कही देश शांति औ अमन चाहिए।
मै रहूँ न रहूँ हिन्द जिंदाबाद रहे।
शान तिरंगा रहे भारती हिन्द नमन चाहिए।