गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : वरिष्ठ नागरिक

।।वरिष्ठ नागरिक।।
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा

लोग कहते हैं
बड़े ही नसीब वाले होते हैं
जो वरिष्ठ नागरिक होते हैं।

कहाँ हर किसीको मिलता है मौका
वरिष्ठ नागरिक बनकर जीने का,
कोई बचपन में तो कोई जवानी में
छोड़ जाते है सुन्दर सा संसार,
दिल की ख्वाहिशें अधूरी रह जाती है
मन की मुरादें धरी की धरी रह जाती है,
इसीलिए तो लोग कहते है
बड़े ही नसीब वाले होते हैं
जो वरिष्ठ नागरिक होते हैं।

परिवार के सारे सदस्य उनके आगे
सम्मान पुर्वक झुकाते है शीश,
कोई भी शुभ कार्य करने के आगे
लेकर अनुमति करते है शुरूवात,
हर कोई श्रद्धा पुर्वक दिल से
देते रहते है ढ़ेर सारी दुआएं,
इसीलिए तो लोग कहते है
बड़े ही नसीब वाले होते हैं
जो वरिष्ठ नागरिक होते हैं।

न ही दफ्तर जाने की जल्दबाजी
न ही सोच विचार करने की चिन्ता,
अपने इच्छा अनुसार ही कार्य करना
यार दोस्तों के साथ उठना-बैठना,
बेफिक्र होकर हँसना-हँसाना
जीने का सुहाना सफर तय करना,
इसीलिए तो लोग कहते हैं
बड़े ही नसीब वाले होते हैं
जो वरिष्ठ नागरिक होते हैं।

गोपाल नेवार, “गणेश” सलुवा

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