चुनाव-विशेष-5
सर जी ने तो कुर्सी पा ली, वा’दों का अम्बार लगा
आस धुली जो हमने पाली, वादों का अम्बार लगा
जाली कामों से दिल्ली की, उम्र धुएँ में ही जा ली
और कहीं अब पैंठ सजा ली, वा’दों का अम्बार लगा।
–डीपी सिंह
वा’दों- वायदे, promises
वादों- मुक़द्दमे
पैंठ- वो स्थान जहाँ छोटे दुकानदार साप्ताहिक बाज़ार लगा लेते हैं