कोलकाता। कोलकाता के दुर्गापूजा उत्सव को ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ घोषित करने पर यहां के निवासियों ने विशाल रैली कर यूनेस्को को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस रैली में दूर्गा पूजा आयोजक से कलाकार तक, जनप्रतिनिधियों से लेकर आम लोगों तक, ने हिस्सा लिया। यह करीब दो किलोमीटर लंबी रंगारंग रैली शहर के केंद्र डोरिना स्थित ललित कला अकादमी से शुरू हुई। रैली में शामिल हुए लोगों ने हाथों में तख्तियां ली हुई थी जिनपर लिखा था, ‘‘धन्यवाद यूनेस्को’। इस दौरान बंगाल में दूर्गा पूजा के अभिन्न अंग माने जाने वाले ‘ढाक’ की भी आवाज सुनाई दे रही थी।
रासबिहारी से विधायक और दुर्गोत्सव के सदस्य देबाशीश कुमार ने बताया कि हम यहां पश्चिम बंगाल की आत्मा दुर्गा पूजा को यूनेस्को की ओर से दिए गए सम्मान का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। इस त्योहार को विश्वस्तर पर प्रोत्साहित करने की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल को यह मान्यता है। मूर्तिकार सनातन डिंडा ने कहा, ‘‘इस शानदार खबर (यूनेस्को की मान्यता) को सुनकर मैं अपने खुशी के आंसू को रोक नहीं पाया।’
रैली में सैकड़ों की संख्या में ढाकियों (विशेष ढाक बजाने वाले) के अलावा पुरुलिया के छाउ नृत्य करने वालों की टोली भी शामिल हुई। रैली में महिलाएं पारंपरिक सफेद रंग की लाल किनारी वाली साड़ी पहने नजर आईं। गौरतलब है कि 15 दिसंबर को यूनेस्को ने कोलकाता के दुर्गा पूजा उत्सव को ‘ अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ का दर्जा दिया था। इस कदम की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रशंसा की थी।