काली दास पाण्डेय : भारतीय फिल्म जगत को संगीतकार सचिन देव बर्मन (एसडी बर्मन) द्वारा दिये गए योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है। सचिन देव बर्मन ने अपने करियर की शुरूआत कलकत्ता रेडियो स्टेशन पर गायक के तौर पर की। यहीं पर से उनका बंगाल के लोक संगीत से जुड़ाव शुरू हुआ जो कि उनके कर्णप्रिय गानों में भी सुनाई देता हैं।
साल 1932 में उनका पहला गाना “खमाज” रिलीज़ हुआ। इस दौरान वह बंगाली फिल्म के अपने करियर में सर्वश्रेष्ठ दौर में पहुंचे। उन्होंने 2 साल में 131 गाने रिकॉर्ड किये। बंगाली फिल्मों में नाम कमाने के बाद वह वर्ष 1944 में कलकत्ता से मुंबई की ओर रवाना हुए। यहाँ फिल्म निर्माता सशधर मुखर्जी की दो फिल्मों में संगीत दिया। लेकिन हिंदी फिल्मों में उन्हें नाम और शोहरत 1947 में आई फिल्म ‘दो भाई’ के जरिये मिली। सचिन देव बर्मन का हिंदी फिल्मों में जादू 1960 और 70 के दशक तक छाया रहा।
वह एक अकेले संगीतकार थे। जिनकी जुगलबंदी मो. रफ़ी और किशोर कुमार दोनों के साथ बहुत चर्चित हुई। गाइड, आराधना, अभिमान, अनुराग जैसी फिल्मों के संगीत के लिए सचिन देव बर्मन को अभी भी याद किया जाता है। 1969 की फिल्म आराधना में भी सचिन देव बर्मन (एसडी बर्मन) का ही संगीत था। इस फिल्म से जहाँ एक ओर सुपरस्टार राजेश खन्ना का उदय हुआ वहीं, गायक किशोर कुमार के करियर को भी नई ऊंचाई मिली।
1 अक्टूबर 1906 को कोमिल्ला शहर (अब बांग्लादेश में) में जन्मे सचिन देव बर्मन एक शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनकी माता निर्मला देवी मणिपुर की राजकुमारी थी। वहीं उनके पिता नाबादविपचन्द्र देव बर्मन त्रिपुरा के महाराजा थे। सचिन देव बर्मन की आरंभिक शिक्षा अगरतल्ला के कुमार बोर्डिंग स्कूल में हुई थी। इसके बाद उन्होंने युसूफ स्कूल और कोमिल्ला जिला से अपनी पढाई पूरी की। सचिन देव बर्मन ने वर्ष 1938 में मीरा देव बर्मन से शादी की थी। जिनसे उन्हें पुत्र के रूप में राहुल देव बर्मन (आर.डी. बर्मन) प्राप्त हुए। आगे चलकर आर.डी. बर्मन भी पिता की तरह एक महान संगीतकार बने।
सचिन दा को पद्मश्री (1969) नेशनल अवार्ड्स (1970 और 1974) और फिल्मफेयर अवार्ड (1954 और 1973 ) से नवाज़ा जा चुका है। फिल्म ‘मिली’ (1975) का गीत ‘बड़ी सूनी-सूनी है…’ की रिकॉर्डिंग के दौरान एसडी बर्मन अचेतन अवस्था में चले गए। हिन्दी सिने जगत को अपने मधुर संगीत से सराबोर करने वाले सचिन दा 31 अक्टूबर 1975 को 69 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह गए। सचिन देव बर्मन ने संगीत की दुनिया में जो योगदान दिया वह आज भी अविस्मरणीय है।