डीपी सिंह की रचनाएं : इबादत

*इबादत*

हर समय ही जिहाद अच्छी आदत है क्या
चीखना पाँच टाइम शराफत है क्या
कत्ल-ओ-गारत से मिलती है जन्नत जहाँ
या ख़ुदा! ऐसी तेरी इबादत है क्या

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