- हम समाधान का हिस्सा हैं विषय पर नौ राष्ट्रों के वैज्ञानिकों ने किया मंथन
- ईएसडब्ल्यू सोसायटी खजुराहो ने किया विशाल संयोजन
छतरपुर। National Desk : अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन सहस्त्राब्दी वर्ष से संचालित एवं नीति आयोग भारत सरकार से संबद्ध एनवायरमेंट एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी खजुराहो मध्यप्रदेश, मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी उदयपुर राजस्थान, कोटा विश्वविधालय राजस्थान, महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी वडोदरा, विक्रम यूनिवर्सिटी उज्जैन, अग्रवाल कन्या महाविद्यालय राजस्थान, सेवादल महाविद्यालय महाराष्ट्र, रामजस कॉलेज यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड एनवायरमेंट नेपाल, राजपूताना सोसाइटी ऑफ नेचुरल हिस्ट्री राजस्थान,
जला श्री वाटर शेड सर्वलाइंस रिसर्च इंस्टीट्यूट जलगांव महाराष्ट्र, ह्यूमन राइट्स एजुकेशन एंड अवयरनेस गुजरात, ग्लोबल फोरम फॉर सस्टेनेबल रूरल डेवलपमेंट तथा वर्ल्ड कांग्रेस आफ एनवायरमेंट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजन किया गया जिसकी थीम ‘हम समाधान का हिस्सा हैं’ रही।
इस कार्यक्रम में भारत यूनाइटेड किंगडम सऊदी अरबिया कनाडा पाकिस्तान नेपाल भूटान तथा बांग्लादेश के विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। नीति निर्माताओं सहित पच्चीस प्रख्यात पर्यावरणविद एवं वैज्ञानिकों ने चुनौतियों और संभावित समाधानों पर विचार साझा किया।
उद्घाटन सत्र में सह संरक्षक प्रो. बी.आर. बामनिया, अध्यक्ष, पृथ्वी विज्ञान संकाय, एमएलएसयू, उदयपुर एवं श्री ओपी गुप्ता, अध्यक्ष, अग्रवाल शिक्षण संस्थान, गंगापुर सिटी उद्घाटन भाषण दिया और सभी अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन सचिव डॉ. सत्या प्रकाश मेहरा, प्राचार्य, अग्रवाल गर्ल्स कॉलेज ने कार्यक्रम अनुसूची का अवलोकन किया। डॉ स्वाति
संवत्सर, निदेशक, जलश्री, जलगांव और ईआर मिलिंद पंडित, निदेशक, राजपुताना सोसाइटी ऑफ
नेचुरल हिस्ट्री, राजस्थान ने वेबिनार का संयोजन किया। प्रमुख सचिव, पर्यावरण एवं वन विभाग,
राजस्थान सरकार विशेष अतिथि के रूप में श्रेया गुहा ने पर्यावरण से निपटने विशेष रूप से जैव विविधता संरक्षण और प्रकृति की भलाई से संबंधित चुनौतियाँ में सरकार की भूमिका के बारे में बताया। हॉफ और पीसीसीएफ सुश्री श्रुति शर्मा ने अपने विभागीय के माध्यम से समाधानों पर अपने विचार साझा किए जबकि अध्यक्ष, आरएसबीबी डॉ. दीप नारायण पांडेय ने इसके महत्व का जनमानस के लिए जैव विविधता उल्लेख किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में कर्नल प्रो. विष्णु शर्मा, मान. उपाध्यक्ष चांसलर, राज विश्वविद्यालय पशु चिकित्सक और एएच के प्रमुख तत्व के रूप में स्वदेशी प्रजातियों में जैव विविधता की प्रासंगिकता दी । अतिथि वक्ता के रूप में आर. के. मेघवाल, डॉ. सतीश कुमार शर्मा, राजस्थान और यूके से क्लेयर फ़िंका ने फ्रीलांस पर्यावरण कार्यकर्ताओं के रूप में अपने विचार रखे पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान देने पर। सदस्य सचिव, आरएसबीबी प्रिया रंजन ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
ई एस डब्ल्यू सोसायटी खजुराहो के अध्यक्ष डॉ अश्वनी कुमार दुबे ने बताया कि वेबिनार के लिए 2,248 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया। वक्ताओं ने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में उनके अनुभवी कार्य चुनौतियों और संभावित समाधानों को भी प्रस्तुत किया। वेबिनार का परिणाम ‘मनुष्यों के पारिस्थितिक-सांस्कृतिक दृष्टिकोण का पुनरुद्धार’ था पारिस्थितिकी तंत्र के साथ उनकी अनुकूलता का प्रतिनिधित्व करते हुए स्थापित करने की आवश्यकता है। अलग मामले के माध्यम से अध्ययन, वक्ताओं ने पहल पर केंद्रित संभावित समाधानों पर अपने विचार साझा किए सुपर प्रजाति, यानी इंसान।
यह कार्यक्रम कोविड 19 महामरी के कारण ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आयोजित किया गया तीन तकनीकी सत्र जिनमें विषय विशेषज्ञों ने अपने अपने मत व्यक्त किए एवं पर्यावरण संरक्षण के संबंध में महत्वपूर्ण बातें कहीं जैव विविधता संरक्षण के लिए युवाओं को आगे आने का अवसर प्रदान करना चाहिए। जैव विविधता संरक्षण के संदर्भ में बनाए गए नियम का कड़ाई से पालन राज्य सरकार एवं केंद्र केंद्र सरकारों को करना चाहिए।
बहुत से जीव जंतु पृथ्वी से विलुप्त होते जा रहे हैं जिनकी चिंता विशेषज्ञों ने जाहिर करते हुए कहा कि यदि किसी भी स्थान से कोई भी जाति विलुप्त होती है तो उसको पृथ्वी पर दोबारा नहीं लाया जा सकता ऐसी स्थिति में हमें जैव विविधता और जीव-जंतुओं के संरक्षण पर संवेदनशील होने की आवश्यकता है। विलुप्त हो रहे जीव जंतु के विषय पर भी विस्तार से चर्चा हुई विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण में प्लास्टिक का उपयोग बंद करना चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग हमारे पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है जिसका परिणाम जलवायु परिवर्तन के रूप में हम सब लोगों को देखने के लिए मिल रहा है। गिद्ध संरक्षण पर चर्चा करते हुए बताया गया कि यह सफाई कर्मचारी एक समय अपने इकोसिस्टम को बहुत अच्छे तरीके से संतुलित करते थे लेकिन डाइक्लोफिनेक दबा के कारण अब यह विलुप्त की कगार पर है ऐसे में हमें इनके संरक्षण पर नेपाल तंजानिया काठमांडू पाकिस्तान और भारत के अलावा अन्य देशों में भी संरक्षित करने की आवश्यकता है। बढ़ती हुई जनसंख्या एवं औद्योगीकरण भी पर्यावरण को असंतुलित कर रहा है। समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को भी हमें समझने की आवश्यकता होगी इसमें पाए जाने वाले जीव जंतुओं का संरक्षण करना मानव जीवन का महत्वपूर्ण कार्य होना चाहिए ।
तितलियों पर चर्चा करते हुए बताया गया कि यह हमारे पेड़ पौधों में होने वाली पॉलिनेशन क्रिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । मधुमक्खी का संरक्षण हमारे लिए नितांत आवश्यक है । इस कार्यक्रम में हजारों श्रोताओं ऑनलाइन यूट्यूब फेसबुक तथा गूगल मीट के माध्यम से चार घंटे तक लगातार जुड़े रहे।
वक्ताओं के विचार साझा करने के लिए तीन तकनीकी सत्रों की व्यवस्था की गई। डॉ स्वाति प्रथम तकनीकी सत्र के लिए संवत्सर (जलश्री, महाराष्ट्र) और डॉ. प्रणब पाल (डब्ल्यूआईआई, उत्तराखंड), द्वितीय सत्र डॉ. जयंत चौधरी (जीएफएसआरडी, असम) और डॉ जीशान खालिद (एमओसीसी, पाकिस्तान), एवं तृतीय सत्र प्रो. डी.एम. कुमावत (वीयू, एमपी) और डॉ. सुरभि श्रीवास्तव (यूओके, राजस्थान) अपने-अपने सत्रों की अध्यक्षता और सह-अध्यक्षता की।
डॉ. संजय चौबे (एजीसी, गनागपुर .) सिटी) ने रिपोर्ट का मिलान किया जबकि डॉ. हरीश मंगेश (एमएलएसयू, उदयपुर) और श्री प्रकाश शर्मा (एजीसी, गंगापुर सिटी) ने ऑनलाइन वेबिनार को तकनीकी रूप से नियंत्रित किया। डॉ अनुया वर्मा (एमएलएसयू) ने सभी वक्ताओं और भागीदारों को धन्यवाद प्रस्ताव दिया।