*मनहरण घनाक्षरी छन्द*
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अभी अभी सीमाओं से, लाए बतलाए गए
कुछ हैं शहीद कुछ घायल जवान हैं
सीने पर गोलियों के हैं निशान मानता हूँ
पीठ पर पत्थरों के पर क्यों निशान हैं
घायल जवान बोले, दंश का निशान है ये
आसतीनी साँपों की यही तो पहचान हैं
गोरे-काले खादी वाले, लुटियन ज़ोन वाले
सियासी बयानों से कलेजे हलकान हैं
बहुत सुंदर डी पी सिंह जी