डीपी सिंह की कुण्डलिया

*कुण्डलिया*

अपना सत्ता पक्ष है, राजनीति में दक्ष।
किन्तु सामने लक्ष्य से, भटका हुआ विपक्ष।।
भटका हुआ विपक्ष, शत्रु घर में बुलवाए।
रोटी जाय बिदेस, बन्दरों से बँटवाए।।
आधी भी छिनवाय, दिखा पूरी का सपना।
जो झाँसे में आय, लुटाए वो घर अपना।।

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