नई दिल्ली : हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) एक ऐसी तकनीक विकसित कर रहा है जिसके माध्यम से लद्दाख में बर्फीली ऊंचाइयों पर सैनिकों को राशन प्रदान करने के लिए हेलीकॉप्टर ड्रोन बनाया जाएगा।इसी तकनीक के माध्यम से बनने वाले ड्रोन सीमा पार 700 किलोमीटर की दूरी पर जाकर दुश्मन जेट को भी मार सकते हैं। दरअसल, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बेंगलुरु में चल रहे एयरो इंडिया शो के दौरान अपनी योजना का खाका तैयार किया। HAL के निदेशक अरुप चटर्जी ने बताया कि हम उस परियोजना को विकसित कर रहे हैं, जहां मानवयुक्त विमान सीमा के भीतर काम करेगा और मानवरहित विमान दुश्मन के इलाके में प्रवेश करेगा और दुश्मन के इलाके में हमले भी कर सकता है।
यह योजना अमेरिकी परियोजना स्काईबर्ग पर आधारित है और एचएएल का ड्रीम प्रोजेक्ट है।
इसमें मानवरहित ड्रोनों का मार्गदर्शन करने वाले फाइटर जेट्स 150 किमी पीछे रह सकते हैं और नियंत्रण कर सकते हैं। इसके अलावा चार मानवरहित वाहनों को दिशा-निर्देश दे सकते हैं जिन्हें CATS वारियर्स कहा जाता है। ड्रोन को तेजस और जगुआर फाइटर जेट्स पर एकीकृत किए जाने की उम्मीद है। अगले तीन से चार वर्षों में इसके उड़ान भरने की उम्मीद है। रडार का पता लगाने की इसकी क्षमता इसे और भी शक्तिशाली बना देगी।
अरूप चटर्जी ने बताया कि यह सीधे 700 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को मार सकता है या 350 किलोमीटर तक जा सकता है और वापस आ सकता है। मानव रहित लड़ाकू वाहन के अलावा, मुख्य लड़ाकू विमानों को सशस्त्र ड्रोन CATS हंटर और CATS अल्फा के साथ एकीकृत किया जाएगा। CATS अल्फा एक ग्लाइडर है और यह 4, 8, 16 या 24 झुंड ड्रोन को ले जाने में सक्षम होगा। अन्य मानव रहित युद्ध उपकरणों में मानवरहित हवाई वाहन या RUAV200 शामिल है। एक ऐसा हेलीकाप्टर ड्रोन जो 15,000 फीट से ऊपर तक जा सकता है। एचएएल के अध्यक्ष आर माधवन ने कहा कि यह 18,000 फीट तक काम कर सकता है और आगे की जगहों पर सैनिकों के लिए राशन और सामग्री ले जा सकता है। यह 200 किलो वजन का है और 30 किलो तक के पेलोड को 100 किमी की रेंज तक ले जा सकता है।