अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित बहुभाषी कवि सम्मिलन
कोलकाता। साहित्य अकादेमी द्वारा अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर ‘बहुभाषी कवि सम्मिलन का आयोजन
आर बी दास की कविता : जिंदगी की तपिश
“जिंदगी” की “तपिश” को सहन कीजिए जनाब, अक्सर वे पौधे “मुरझा” जाते हैं जिनकी परवरिश
राजीव कुमार झा की कविता : फूलों की रानी
।।फूलों की रानी।। राजीव कुमार झा कभी प्यार की धूप में आकर नदी के किनारे
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष : राम प्रह्लाद की कविता – भाषा
।।भाषा।। राम प्रह्लाद भाषा भावों की अभिव्यक्ति है भाषा जन-जन की शक्ति है भाषा के
डॉ. आर बी दास की कविता : जिंदगी यही है
।।जिंदगी यही है।। डॉ. आर बी दास सोचता हूं अक्सर क्या जिंदगी यही है, सब
अशोक वर्मा “हमदर्द” की कहानी : अछूत कन्या
।।अछूत कन्या।। अशोक वर्मा “हमदर्द” समाज में फैली छुआछूत और नशाखोरी की समस्या पर करारी
जयेश जायसवाल की कविता : अखबार हैं आप!
अखबार हैं आप! जयेश जायसवाल अखबार सी है जिंदगी, किस्से रोज बदलते हैं। मगर, मजेदार
राजीव कुमार झा की कविता : जो कभी जाने
।।जो कभी जाने।। राजीव कुमार झा कातिल के कारनामे सुनकर ख़ामोश होकर सब निकल पड़े
सृजन मंच की बासंती काव्य संध्या में बहुरंगी कविताओं की बौछार
हुगली। भद्रेश्वर थाना अंतर्गत चांपदानी के बांस बगान संलग्न इलाके में कला, साहित्य एवं संस्कृति
वसंत ऋतु के आगमन पर अर्चना संस्था ने किया स्वागत
कोलकाता। वसंत ऋतु के आगमन के साथ ही अर्चना संस्था के सदस्यों ने स्वरचित रचनाओं