डीपी सिंह की रचनाएं
*विपक्षी राजनीति* बोल कर झूठ जनता को भरमाइये ऐड देकर सियासत को चमकाइये और उठने
नीक राजपूत की कविता : अंधश्रद्धा
अंधश्रद्धा अंधश्रद्धा जिसके नाम के आगे भी अंध, आता है उनमें में श्रद्धा कैसी आज
श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : पानी रे! तेरा रंग कैसा?
पानी रे! तेरा रंग कैसा? पंडित कैलाशनंदन जी कुछ दिन पूर्व ही अपनी सेवा से
डीपी सिंह की रचनाएं
*मुक्तक* इंसान पहले सा कहाँ अब काफ़िलों में है तौबा! वबा का ख़ौफ़ कितना अब
श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : गंगा ! तेरी गोद में
गंगा ! तेरी गोद में सुबह का छः बजा होगा। चौसा पुलिस थाना में फोन
गोपाल नेवार, “गणेश” सलुवा की कविताएं
मजबूरी ********* थक चुका है मांगकर भीख बहाकर अपनी आँसू को, मजबूर हो गए भूख
श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : लालटेन
*लालटेन* द्विमंजिला आलिशान मकान के भूतल का बड़ा-सा हॉल। इस समय उसकी दीवारें अस्तगामी सूर्य
श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : बीरबल बा’ का ढोल
विगत संस्मरण पर आधारित और व्यक्ति विशेष को केंद्र कर रचित मेरी नई कहानी “बीरबल
डीपी सिंह रचनाएं
*माँ* माँ के छूते ही हर दर्द छू हो गया पाँव उसके छुए तो वजू
श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : अतिथि देवो भवः!
अभी प्लेटफार्म से रेलगाड़ी सरकने ही लगी थी कि सफेद गोराई लिये सामान्य कद का