तुला LIBRA (र, री, रु, रे, रो, ता, ति, तू, ते)
शुभ रंग – सफेद,
शुभ अंक – 6,
शुभ धातु – चाँदी,
शुभरत्न – हीरा व ओपल,
शुभदिन – शुक्रवार,
इंष्ट – सन्तोषीमाता (अथवा कुलदेवी जो भी हो) का व्रत व पूजन करे,
शुभ मास – चैत्र व ज्येष्ठ,
मध्यम मास – आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष, माघ व फाल्गुन।
अशुभ मास – वैशाख, कार्तिक व मार्गशीर्ष।
शुभ तारीख – 6, 15, 24,
सकारात्मक तथ्य – आत्म विश्वासी, आकर्षक वाणी,
नकारात्मक तथ्य – ईर्ष्या, घमण्ड, अति धूर्तता,
वायु तत्व प्रधान इस राशि का स्वामी शुक्र है इसके कारण ग्रह बुध, शुक्र और शनि माने गए हैं। चित्रा, स्वाति और विशाखा इस राशि के नक्षत्र हैं। चित्रा नक्षत्र के देव त्वाशत्व और स्वामी मंगल हैं। इस नक्षत्र के जातक शौकीन मिजाज होते हैं। एक साथ अनेक विषयों में शौक होने के कारण किसी विशेष विषय में ध्यान फोकस नहीं कर पाते। इनमें चंचलता बहुत होती है। सफलता की उम्मीद तो ये बहुत करते हैं लेकिन उसके लिए उतनी दिमागी मेहनत नहीं करते। स्वाति नक्षत्र के देव वायु और स्वामी राहू हैं। इस राशि के जातकों में एकाग्रता और सफल होने के भरपूर गुण पाए जाते हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले काफी भाग्यवान होते हैं। विशाखा नक्षत्र के देव इंद्र-अग्नि हैं और स्वामी गुरु हैं। इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले अधिकतर दुविधा में रहते हैं और इनके मन में विरोधाभासी विचार चलते रहते हैं।
तुला राशि पर शुक्र का आधिपत्य होने के कारण इस राशि के जातकों को बनने-संवरने, संगीत, चित्रकारी और बागवानी जैसे शौक होते हैं। इन जातकों का शरीर दुबला-पतला और अच्छे गठन वाला होता है। मुस्कान मोहक होती है। एक बार मित्र बना लें तो हमेशा के लिए अच्छे मित्र सिद्ध होते हैं। इनकी खूबी यह होती है कि वे विवादों को बड़ी कुशलता से निपटाते हैं और संघर्ष व टकराव की स्थिति से बचने के लिए स्वयं को निष्पक्ष रखते हुए बड़ी चतुराई से अपनी बात कहते हैं। निष्पक्ष तर्क करने के लिए अगर कूटनीति का सहारा लेना पड़े या समझौते का रास्ता बनाना पड़े तो भी गुरेज नहीं करते और अपनी बौद्धिक क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करना जानते हैं। हालांकि, स्वयं अपने लिए तुरन्त निर्णय नहीं ले पाते और अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं।
ये अपने नफा-नुक्सान के बारे में सोचने में ज्यादा वक्त लगाते हैं। हालांकि, विपरीत सैक्स के प्रति तुला जाति वाले जल्दी आकर्षित होते हैं लेकिन जीवनसाथी बनाने का निर्णय लेते समय काफी सावधान रहते हैं और बहुत सोच-विचार करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इस राशि के लोग निर्णय लेने से डरते हैं और इसलिए हर बात के लिए अपने पार्टनर पर निर्भर होते हैं। ये अकेलेपन से काफी घबराते हैं और इसलिए कई बार परख किए बिना ये लोगों से जुड़ जाते हैं। इससे कई बार उनका गलत रिश्तों से सामना होता है।
तुला राशि के लड़के अपने रिश्ते को लेकर काफी ईमानदार होते हैं। हालांकि ये अपने साथी पर हावी रहते हैं लेकिन अगर इनका साथी इन पर रौब जमाए तो यह इनको बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता। ये चाहते हैं कि हमेशा सौंदर्य इनके आसपास रहे। हालांकि ये चेहरे से ज्यादा लोगों के दिल की खूबसूरती पर मर मिटते हैं। यह भी कहा जाता है कि तुला राशि वाले जातक किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते, दूसरों को प्रोत्साहन देना, सहारा देना इनका स्वभाव होता है। ये कलाकार, सौंदर्योपासक व स्नेहिल होते हैं। व्यवहारिक भी होते हैं और इनके मित्र इन्हें पसंद करते हैं।
वर्षारम्भ से 30 अक्टूवर तक इस राशि पर केतु का संचार रहने से घरेलु तनाव, कार्यक्षेत्र सम्बन्धी परेशानियां एवं गुप्त चिन्ताएं बनी रहेगी। वर्षारम्भ से 17 जनवरी तक शनि की ढैय्या भी रहेगी। ता. 15 फरवरी से 11 मार्च तक राशिस्वामी शुक्र मीन (उच्च) राशि में संचार करने तथा 12 मार्च से 5 अप्रैल तक शुक्र की स्वगृही दृष्टि रहने से मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि, अकस्मात् धन-लाभ व उन्नति होगी।
ता. 14 अप्रैल से 14 मई तक इस राशि पर सूर्य की नीच दृष्टि तथा 22 अप्रैल से वर्षान्त तक गुरु की शत्रु दृष्टि रहने से बनते कामों में अड़चने पैदा होंगी ता. 30 मई से 2 नवंबर के मध्य राशिस्वामी शुक्र क्रमशः कर्क व सिंह राशि में संचारित होने से मिश्रित फल प्राप्त होंगे।
इस वर्ष स्थितियां वातावरण अधिकतर आपके सोच-विचार, स्वभाव के विपरीत रहने की सम्भावना है। मानसिकता से सोचकर भी परिवर्तन संभव नहीं होता, कामकाज के प्रति सजग, गंभीर होते हैं। कार्यकुशलता बेहतर रखते हैं। स्वाभाविक कारणों से मित्रता विश्वास कम रहता है। छोटी-बड़ी बात का भी प्रभाव अधिक होता है। चंचलतावश वैचारिक दृष्टिकोण बदलते हैं। पश्चाताप, दुःख में रहते हैं। सहजता से आप राशि वालों को लोग सहयोगी समझ नहीं पाते जिस कारण व्यर्थ की धारणाओं को मन में बनाते हैं। उनको मन-विचारों से निकालना मुश्किल होता है। पारिवारिक प्रेम, जवाबदारी रखते हैं। स्पष्टता, सत्यता के कार्यों को महत्व देते हैं। स्वयं का विश्वास बनने तक गंभीरता, जिद्दता नहीं बना पाते। योजना, उद्देश्य, लाभ को महत्व देते हैं। अनिश्चितता में संयमित रहना कठिन हो पाता है। योग्यता, अनुभव से अधिकार रखते हैं। कार्यकुशलता, समर्पण की स्थिति में स्वयं का प्रभाव रखते हैं तथा परिणामों की नहीं सोचते।
उपाय : 1. ता. 30 अक्तूवर तक केतु की शान्ति के लिए अपने जन्मदिन पर सुपात्र व्यक्ति को रंगदार कम्बल का दान करना शुभ होगा।
2. शुक्रवार का विधिवत् व्रत रखना, कन्या पूजन करके मिष्ठान्न सहित दक्षिणा भेंट करें।
3. नवरात्रों में श्रीदुर्गा-सप्तशती का विधिपूर्वक पाठ करना शुभ होगा।
मासिक राशिफल 2023
जनवरी : विघ्नबाधाओं के बावजूद निर्वाह योग्य धन प्राप्ति होती रहेगी। परन्तु मानसिक तनाव एवं कुछ उलझनपूर्ण परिस्थितियां उत्पन्न होंगी। आर्थिक उलझनों के कारण। मन चिन्तित रहेगा। अप्रत्याशित सूचनाएं प्राप्त होंगी।
फरवरी : पूर्वाद्ध में अत्यधिक भागदौड़ करने पर भी विशेष धन लाभ नहीं हो पाएगा। बनते कार्यों में अड़चनें पैदा होंगी। उत्तरार्द्ध में कार्य व्यवसाय में व्यस्तताएं बढ़ेंगी। अकस्मात् किसी कार्य के बनने से खुशी प्राप्त होगी।
मार्च : ता. 11 तक षष्ठस्थ ‘गुरु-शुक्र’ योग रहने से आशाओं में आंशिक सफलता के बावजूद मन परेशान और अशान्त होगा। ता. 12 से शुक्र की स्वगृही दृष्टि रहने से सुख- सुविधा के साधन बढ़ेंगे। परन्तु व्यर्थ की भागदौड़ भी अधिक होगी।
अप्रैल : ता. 6 से शुक्र अष्टमस्थ होने से शरीर कष्ट, मानसिक तनाव व स्वास्थ्य हानि के योग हैं। लाभ कम व खर्च अधिक होगा। परिवार में भाई-बन्धु से तनाव और अत्यधिक क्रोध से हानि होगी। विभिन्न उलझनों का सामना होगा।
मई : सूर्य गुरु की शत्रु दृष्टि रहने से स्वास्थ्य कष्ट तथा पारिवारिक चिन्ता रहेगी। प्रयास करने पर रुके हुए कार्य में प्रगति होगी। सर्विस अथवा व्यवसाय सम्बन्धी अनेक कठिनाईयों का सामना रहेगा। विशेष स्नेही व्यक्ति से मुलाकात होगी।
जून : व्यर्थ की भागदौड़ के कारण शरीर अस्वस्थ रहेगा। जमीन-जायदाद के निर्माण सम्बन्धी समस्याएं कष्ट देंगी। आय से व्यय अधिक रहेगा। सरकारी विभाग में काम निकालने के लिए कठिनाई होगी। स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी और वृथा यात्रा होगी।
जुलाई : इस मास प्रयत्न करने पर व्यापार/नौकरी में उन्नति होगी। उत्साह से कार्य करने से समय साथ देगा। लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। काम-काज करने से ढंग में परिवर्तन करने पर लाभ होगा। जटिल समस्याओं के हल होने से राहत एवं मानसिक तनाव कम होगा।
अगस्त : वक्री शुक्र के कारण आर्थिक उलझनें रहने से मन परेशान रहे। सोची योजनाओं में विघ्न-बाधाओं का सामना रहे। यात्रा में चोटादि का भय रहेगा। कठिन परिस्थितियों के बावजूद धन प्राप्ति के कुछ साधन बनते रहेंगे।
सितम्बर : विभिन्न प्रयास, भरपूर परिश्रम और हित चिन्तकों का सहयोग लेकर ही वांछित सफलता सम्भव होगी। प्राप्त साधनों का उपयोग संयमपूर्वक करें। स्वास्थ्य हानि एवं लेन-देन करते समय विवाद होने के संकेत हैं।
अक्तूबर : कुटुम्ब में किसी सुखद प्रसंग की सम्भावना है। नौकरी या व्यवसाय में। प्रतिष्ठित व्यक्तियों के सम्पर्क-साधनों से उन्नति के अवसर मिलेंगे। व्यवसायिक व्यस्तताएं बढ़ेंगी। धार्मिक कार्यों में रूचि बनेगी। ‘महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्र’ का पाठ करना शुभ होगा।
नवम्बर : ता. 3 से शुक्र नीच राशिगत रहने से आय में कमी तथा आकस्मिक खर्च अप्रत्याशित रूप से बढ़ जाएंगे। व्यवसाय में विघ्न तथा घरेलु उलझनों के कारण मन चिन्तित रहे। स्वास्थ्य भी ठीक न रहे। किसी निकट बन्धु से मनमुटाव पैदा हो।
दिसम्बर : शुक्र स्वराशिगत रहने से परिस्थितियों में सुधार होगा। विदेश सम्बन्धी सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। व्यापारियों के लिए समय अच्छा है। धन लाभ व उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी।
ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848