विश्व खुशहाली सूचकांक रिपोर्ट 2024 जारी- फिनलैंड लगातार सातवें साल दुनियां का सबसे खुशहाल देश बना

भारत के विकसित देश बनने की ओर बढ़ते कदमों में, क्या विश्व खुशहाली सूचकांक रिपोर्ट 2024 ने प्रश्न चिन्ह लगाया
विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024-143 देशों में भारत का 126 वां स्थान सोचनीय- नीति निर्धारकों को मानदंडों पर खरा उतरने के प्रयास करना जरूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर आज दुनियां में हर व्यक्ति को जिसकी आज सबसे अधिक जरूरत है वह है खुशी! प्रसन्नता! क्योंकि अगर मानवीय जीव को इस प्रौद्योगिकी के उन्नत युग में धन दौलत शोहरत खजाना नाम सब मिल जाए पर वह खुश नहीं हो तो यह सब उसके लिए किसी काम का नहीं। यानी मिट्टी के मोल हैं परंतु यदि उपरोक्त सभी सुविधाएं पारितोषिक न होकर उसे अत्यंत खुशी उपलब्ध है और वह खुशनुमा जीवन व्यतीत कर रहा है तो वह दुनिया का सबसे बड़ा खुश किस्मत व्यक्तित्व होगा। 20 जनवरी 2024 को एक ऐसा ही दिन आयोजित हुआ जो अंतरराष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के रूप में मनाया जाता है और इसी दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक रिपोर्ट जारी की जाती है जो 20 मार्च 2024 को 143 देशो के खुशहाली की रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें फिनलैंड लगातार सातवीं बार खुशहाल देश घोषित किया गया है और सबसे आखरी रैंक यानी सबसे बदहाल देश के रूप में अफगानिस्तान को घोषित किया गया है क्योंकि उस पर तालिबान की हुकूमत के बाद यहां हालात बद्दतर हुए हैं क्योंकि यहां न सिर्फ नौकरी और खाने के लाले पड़े हैं बल्कि यहां लोग अपनी पसंद का कार्य भी नहीं करते हैं अनेक प्रतिबंध है।परंतु बड़ी विचित्र और शोचनीय स्थिति यह है कि यहां 144 देशों की लिस्ट में भारत 126 में स्थान पर है आखिर ऐसा क्यों? पिछले अनेक वर्षों से हम बड़ी-बड़ी बातें सुनते आ रहे हैं लाखों, करोड़ों, अरबों हजार करोड़ रूपों की योजनाएं, लगातार 10 वर्षों से हम सुनते आ रहे हैं। फिर भी भारत की खुशहाली इतनी पिछड़ी हुई है या फिर किसी साजिश के तहत इतनी लंबी दूरी पर भारत को रखा गया है। मेरा मानना है कि चूंकि यह रिपोर्ट बनाने में अनेक स्तरों पर अनेक मानदंडों कारकों यानी पैरामीटर व अन्य कार्य किए जाते हैं जिसका आकलन बड़ी सावधानी व सटीकता से किया जाता है। तो स्वाभाविक ही है कि हम उन मानदंडों पर फिट नहीं हो पा रहे हैं। जिसकी और हमें तेजी से होने की जरूरत है। इसको गंभीरता से रेखांकित करना होगा। चुंकि दिनांक 20 मार्च 2024 को विश्व खुशहाली सूचकांक की रिपोर्ट 2024 जारी की गई जिसमें फिनलैंड लगातार सातवें साल दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत के विकसित देश बनने की ओर बढ़ते कदमों में विश्व खुशहाली सूचकांक रिपोर्ट में 143 देशो में भारत का 126वां स्थान सोचनिय स्थित है।

साथियों बात अगर हम 20 मार्च 2024 को जारी विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 की करें तो, रिपोर्ट में फिनलैंड एक बार फिर दुनिया का सबसे खुशहाल देश है। फिनलैंड के बाद दूसरा नंबर डेनमार्क का है। आइसलैंड तीसरे और इस लिस्ट में स्वीडन चौथे नंबर पर है। इजराइल नंबर 5 पर है। नीदरलैंड नंबर 6, नॉर्वे नंबर 7 लक्ज़मबर्ग का नंबर 8 स्विट्जरलैंड नंबर 9 और ऑस्ट्रेलिया 10वें नंबर पर है। 11वें नंबर पर न्यूज़ीलैंड, 12वें पर कोस्टा रिका, 13वें पर कुवैत, 14वें पर ऑस्ट्रिया, 15वें पर कनाडा है। बेल्जियम 16वें, आयरलैंड 17वें, चेकिया 18वें पर, लिथुआनिया 19वें और यूनाइटेड किंगडम 20वें नंबर पर है। अमेरिका लिस्ट में टॉप-20 से बाहर होकर 23वें और जर्मनी 24 वें नंबर पर है। अमेरिका और कनाडा में, 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों का खुशी स्कोर 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों की तुलना में नाटकीय रूप से कम था। 30 वर्ष से कम उम्र के लोगों में, अमेरिका 62वें स्थान पर है, जबकि 60 और उससे अधिक उम्र वालों के लिए यह 10वें स्थान पर है। कनाडा युवाओं में 58वें और 60 और उससे अधिक उम्र वालों के लिए 8वें स्थान पर है। सबसे कम खुशी वाले देशों में अफगानिस्तान दुनिया का सबसे निचले पायदान वाला देश बना हुआ है। लेबनान, लेसोथो, सिएरा लियोन और कांगो भी निचले स्थानों पर हैं। सबसे अप्रसन्न देश सूची में सबसे नीचे अफगानिस्तान है, जो 2020 में तालिबान के नियंत्रण हासिल करने के बाद से मानवीय संकट से जूझ रहा है।

रैंकिंग में उल्लेखनीय परिवर्तन संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी पहली बार शीर्ष 20 सबसे खुशहाल देशों से बाहर हो गए और क्रमशः 23वें और 24वें स्थान पर रहे। कोस्टा रिका और कुवैत ने 12वें और 13वें स्थान पर शीर्ष 20 में प्रवेश किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे खुशहाल देशों में अब दुनिया का कोई भी सबसे बड़ा देश शामिल नहीं है। भारत की रैंकिंग और जीवन संतुष्टि को प्रभावित करने वाले कारक, प्रसन्नता सूचकांक में भारत पिछले वर्ष की तरह ही 126वें स्थान पर है।वैवाहिक स्थिति, सामाजिक जुड़ाव और शारीरिक स्वास्थ्य जैसे कारक भी वृद्ध भारतीयों के बीच जीवन संतुष्टि को प्रभावित करते हैं। रहने की व्यवस्था से संतुष्टि एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में उभरती है, जो वृद्ध भारतीयों के बीच उम्र बढ़ने और स्वायत्तता और सामाजिक बंधन बनाए रखने की तीव्र इच्छा को दर्शाती है।

भारत में विश्व स्तर पर दूसरी सबसे बड़ी वृद्ध आबादी है, जिसमें 60 और उससे अधिक उम्र के 140 मिलियन लोग हैं, जो केवल चीन से पीछे है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्ध भारतीय पुरुष, विशेष रूप से वे जो अधिक आयु वर्ग में हैं, वर्तमान में विवाहित हैं, और जो शिक्षा प्राप्त हैं, अपने समकक्षों की तुलना में अधिक जीवन संतुष्टि की रिपोर्ट करते हैं। वृद्ध भारतीयों में, रहने की व्यवस्था से असंतोष, कथित भेदभाव और खराब स्व-रेटेड स्वास्थ्य जैसे कारक कम जीवन संतुष्टि से जुड़े हुए हैं। शिक्षा का स्तर, सामाजिक जाति और जीवन यापन की व्यवस्था से संतुष्टि भी जीवन संतुष्टि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। खुशहाली के रुझान 2006-10 के बाद से खुशहाली में सबसे तेज गिरावट अफग़ानिस्तान, लेबनान और जॉर्डन में देखी गई। खुशहाली में सबसे बड़ी वृद्धि पूर्वी यूरोपीय देशों सर्बिया, बुल्गारिया और लातविया में दर्ज की गई। यूरोप को छोड़कर हर क्षेत्र में खुशहाली की असमानता बढ़ी है, जिसे रिपोर्ट में चिंताजनक प्रवृत्ति बताया गया है।

विश्व खुशहाली रिपोर्ट में शीर्ष 20 देशों का स्थान : संयुक्त राष्ट्र की ‘विश्व खुशहाली रिपोर्ट’ में दुनिया के सबसे खुशहाल और बदहाल देशों को निम्न रूप में देखा जा सकता है : (1) फिनलैंड (2) डेनमार्क (3) आइसलैंड (4) स्वीडन (5) इजराइल (6) नीदरलैंड (7) नॉर्वे (8) लक्ज़मबर्ग (9) स्विट्जरलैंड (10) ऑस्ट्रेलिया (11) न्यूज़ीलैंड (12) कोस्टारिका (13) कुवैत (14) ऑस्ट्रिया (15) कनाडा (16) बेल्जियम (17) आयरलैंड (18) चेकिया (19) लिथुआनिया (20) यूनाइटेड किंगडम।

साथियों बात अगर हम फिनलैंड के लगातार सातवीं बार खुशहाली में नंबर वन के कारकों की करें तो, फ़िनलैंड की खुशहाली में योगदान देने वाले कारक हेलसिंकी विश्वविद्यालय के एक खुशी शोधकर्ता के अनुसार, फिनलैंड की खुशी में योगदान देने वाले कुछ प्रमुख कारकों में शामिल हैं : प्रकृति से घनिष्ठ संबंध स्वस्थ कार्य-जीवन संतुलन सफलता की प्राप्य समझ (केवल वित्तीय लाभ पर केंद्रित नहीं) सशक्त कल्याणकारी समाज राज्य अधिकारियों पर भरोसा रखना। भ्रष्टाचार का निम्न स्तर मुफ़्त स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा खुशहाली में पीढ़ीगत अंतर रिपोर्ट में पाया गया कि दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में युवा पीढ़ियाँ अपने पुराने साथियों की तुलना में अधिक खुश हैं, सिवाय इसके कि : उत्तरी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड इन क्षेत्रों में, 2006-10 के बाद से 30 वर्ष से कम आयु के समूहों के बीच खुशी में अद्भुत रूप से गिरावट आई है, पुरानी पीढ़ी अब युवाओं की तुलना में अधिक खुश है। इस बीच, सर्वेक्षण में अफगानिस्तान और लेबनान दो नाखुश देश रहे। वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई। रिपोर्ट ने उन कारकों की पहचान की जो जीवन के मूल्यांकन में योगदान करते हैं- जिसमें आय, स्वास्थ्य, किसी पर भरोसा, जीवन के प्रमुख निर्णय लेने की स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार की अनुपस्थिति शामिल है। रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि हर कोई बिना भेदभाव के मौलिक मानवाधिकारों का हकदार है, जिसमें जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से आजादी, विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा काम और शिक्षा का अधिकार शामिल है।

साथियों बातें हम इसी दिन यानी 20 मार्च 2024 को मनाए गए अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस की करें तो अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस 2024 का विषय : प्रति वर्ष अंतरर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस मनाने के लिए एक विषय निर्धारित किया जाता है। इस वर्ष 2024 का विषय खुशी के लिए पुनः जुड़ना : लचीले समुदायों का निर्माण है। संयुक्त राष्ट्र सभी प्रकार के लोगों को अंतर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के आयोजन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता है।प्रसन्नता एक सार्वभौमिक अधिकार है और किसी को भी इस अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता। हम अपने प्रियजनों को प्रसन्न करने के लिए कई तरीके ढूंढते हैं। जब हम उन्हें मुस्कुराते हुए और प्रसन्न देखते हैं, तो वे क्षण ही जीवन बनाते हैं। यह दिवस हमें पहल करने और छोटे-छोटे प्रयासों से अपने आस-पास के सभी लोगों को खुश करने का अवसर प्रदान करता है। लोगों को प्रेरित करने से लेकर सकारात्मकता फैलाने तक, आप खुशियाँ फैला सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा आर्थिक विकास के लिए अधिक समावेशी, न्यायसंगत और संतुलित दृष्टिकोण का आह्वान करती है जो सभी लोगों की खुशी और कल्याण को बढ़ावा देता है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व खुशहाली सूचकांक रिपोर्ट 2024 जारी- फिनलैंड लगातार सातवें साल दुनियां का सबसे खुशहाल देश बना। भारत के विकसित देश बनने की ओर बढ़ते कदमों में, क्या विश्व खुशहाली सूचकांक रिपोर्ट 2024 ने प्रश्न चिन्ह लगाया। विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024-143 देशों में भारत का 126वां स्थान सोचनीय- नीति निर्धारकों को मानदंडों पर खरा उतरने के प्रयास करना जरूरी है।

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